छत्तीसगढ़

मौत के मुंह से वापस लौटी बच्ची, परिवार को है प्रशासनिक मदद की है आस…

छुरा / बीते 2 दिसम्बर को मादा तेंदुआ के आत्मघाती हमले में गंभीर रूप से घायल बच्ची अनीषा का लम्बे समय तक चले ईलाज़ के बाद शनिवार देर रात को घर वापसी हुई है। अब बच्ची के स्वास्थ्य में पहले की अपेक्षा सुधार देखा जा रहा है, अनीषा अब बात करने खाना खाने व हंसने मुस्कुराने लगी है लेकिन तेंदुआ का हमला इतना खतरनाक था कि जख्मों को भरने में आगे भी लम्बा वक्त लग सकता है ऐसे में गरीब परिवार के लोगों का आये खेती किसानी का अब तक का समय और आने वाले और दिनों का समय देखभाल में ही जाना तय है.

इस स्थिति में देहाढ़ी मजदूरी कर अपना जीवन यापन करने वाला परिवार न सिर्फ स्वयं का बल्कि उस नन्ही सी जान की भी सही देख-रेख व खान पान की व्यवस्था हेतु शासन प्रशासन से मदद कि आस लगाए हुए हैं जिससे उनकी कुछ सहायता हो सके, यहां पर उल्लेखनीय बात यह है कि बच्ची के इलाज़ के समय गरीब परिवार ने अपने स्तर पर जैसे तैसे कर के लगभग 20 हज़ार रुपए अमीषा के लाने ले जाने व नगद रक्त की खरीद पर खर्च चुके हैं जबकि वन विभाग के रेंजर व डिप्टी रेंजर के माध्यम से 6 हज़ार रुपए का सहयोग अब तक मिल पाना बताया गया है। वहीं हास्पिटल तक पहुंच कर वन विभाग ने देखरेख बखूबी निभाया।

Chhattisgarh Crimes

लगभग 42 महीने की इस बच्ची ने अपने छोटे से जीवन काल में इतना बड़ा घटना देख लिया है जो कि बड़े से बड़े तजुर्बाकार लोग नहीं सहपाते ऐसे में हम शासन प्रशासन से यही अपेक्षा रखतें हैं कि इस आदिवासी बच्ची के उज्जवल भविष्य के लिए जो कुछ संभव हो प्रशासनिक मदद पहुंचाया जाय। जिससे इस आदिवासी परिवार की माली हालत सही रहे और इस बच्ची को सही स्वस्थ होने के बाद एक बार फिर से पढ़ाई करने के लिए गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में भेज सकें।

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