
भिलाई- दुर्ग । बैठक को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि फिलिस्तीन पर लगातार जारी इजराइली-अमेरिकी हमले को एक महीने से अधिक हो गए। अब तक 10 हजार से अधिक निर्दोष जानें जा चुकी हैं जिनमें लगभग 6 हजार बच्चे व महिलाएं शामिल हैं। रिहायशी इलाकों, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, मस्जिदों , राहत कैंप व एम्बुलेंसों पर बमबारी जारी है। बिजली-पानी, रसद व जीवन रक्षक दवाओं की आपूर्ति काट दी गई है। अमरीका के प्रत्यक्ष सैनिक–कूटनीतिक समर्थन समेत अन्य साम्राज्यवादी देशों की मदद से ‘आत्मरक्षा’ के नाम पर किया जा रहा यह एक खुला जनसंहार है। एक समूचे देश के वजूद को मिटा देने की कोशिश है। युद्ध व मानवाधिकार से जुड़े तमाम अंतरराष्ट्रीय नियम व मान्यताएं स्थगित कर दी गई हैं। कुल मिलाकर जुल्म और अन्याय के एक भयानक दौर के हम गवाह हैं।
दुनिया भर में लाखों लोग सड़कों पर आकर न सिर्फ़ इसका विरोध करते हुए तत्काल शांति की मांग कर रहे हैं बल्कि अपनी सरकारों पर फिलिस्तीनी आवाम के पक्ष में खड़े होने का दबाव बना रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में अमेरिका और यूरोप के लाखों लोगों के साथ ‘हमारे नाम पर नहीं’ के नारे के साथ यहूदी समुदाय के लोग भी सड़कों पर हैं।
भारत फिलिस्तीनी आवाम के मुक्ति आंदोलन का पुराना समर्थक रहा है। पर देश की मौजूदा मोदी सरकार न्याय और शांति के हमारे इस परंपरागत रुख को पलटकर बेगुनाहों के नरसंहार और खुले अन्याय के समर्थन में खड़े होते हुए अमेरिका-इजराइल परस्त विदेश नीति पर चल रही है। हम मोदी सरकार की अमेरिका-इजराइल परस्ती की तीखी निंदा करते है और फिलिस्तीनी जनता की तकलीफों और संघर्ष के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए अमेरिका-इजराइल का सैन्य समर्थन नहीं, शांति के लिए पहल करने की मांग करते हैं.
बैठक में कहा गया कि फिलिस्तीन श्रमिकों की जगह उनके काम को भारतीय श्रमिकों से इजरायल मे कराने के लिए मजदूर निर्यात करना विनाशकारी व अनैतिक कदम होगा. बैठक को डीवीएस रेड्डी, विनोद कुमार सोनी, बृजेन्द्र तिवारी, वकील भारती, शिव कुमार प्रसाद ने संबोधित किया.मुमताज ने गजल तथा वासुकी प्रसाद ने कविता पढ़ी.
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