रायपुर / छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण डॉ. अनिता रावटे श्रीमती नीता विश्वकर्मा एवं श्रीमती बालो बघेल ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 201 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में आयोजित जनसुनवाई में कुल 28 प्रकरण में सुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका अपने परिवार के सम्पत्ति में हिस्सा के लिए आवेदन प्रस्तुत की थी। दोनों परिवारों के मध्य न्यायालय में 3-4 मामले चल रहे है। आयोग अनावेदक को दस्तावेज लेकर जाने के लिए निर्देश दिया गया ताकि अगली सुनवाई में निराकरण हो सके।
एक प्रकरण में आवेदिका ने सामाजिक बहिष्कार का मामला आयोग में दर्ज कराया है। आयोग की समझाइश पर समाज प्रमुख अनावेदकगणों ने एक माह का समय मांगा है।अनावेदकगणों ने एक महिने के अंदर आवेदिका को समाज में मिलाने की बात कही। आयोग द्वारा दोनो पक्षों को एक माह का समय दिया गया।
अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद आवेदिका अपने सास-ससुर के घर पर अकेली रह रही है। अनावेदक सास व ससुर वर्तमान में रिटायर्ड कर्मचारी है। उनके पास जीवनयापन के लिए सिर्फ वहीं मकान है। जिसे किराये पर देकर वह अपना पालन-पोषण कर सकते है। अनावेदकगण आवेदिका को अपने साथ रखना चाहते हैं ताकि दोनो एक दूसरे का सहारा बन सके लेकिन आवेदिका इसके लिए तैयार नही है। आवेदिका 25 से 30 हजार रूपये महिना कमाती है ऐसी स्थिति में सास-ससुर को जिम्मेदारी आवेदिका की भी है। आयोग द्वारा कमेटी का गठन किया गया जो स्थल पर जाकर निरीक्षण कर आयोग को रिपोर्ट सौंपेगी तत्पश्चात् आयोग में अगली सुनवाई में रखा जायेगा।
अन्य प्रकरण में अनावेदिका द्वारा आवेदिका के बेटे को बलात्कार के मामले में फंसाने की धमकी दिया जा रहा है। आयोग के द्वारा कांउसलिंग कराने पर दोनो पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ बात कर रहे है। प्रकरण देखने पर पता चलता है कि दोनो बालिग है और पिछले 7 सालो से एक-दूसरे से अवैध रित में थे। इस प्रकरण में आयोग ने थाना से प्रतिवेदन मांगने का निर्देश दिया क्योंकि अनावेदिका जेल भेजने की धमकी दे रही है। अगर अनावेदिका अवैध संबंध में रहती है और बालिग है तथा शादी करने का दबाव डालती है तो ऐसा विवाह दोनो पक्षों के लिए उचित नही है। इस प्रकरण में थाना टिकरापारा को 15 दिन के अंदर जाच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
अन्य प्रकरण में अनावेदक पक्ष आवेदिका के मकान में अवैध रूप से ताला लगा दिये। थे और उसे उसका पैसा भी नही दे रहे थे आवेदिका ने आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें आयोग की समझाझ पर आनावेदकगणों ने आवेदिका को 15 लाख 55 हजार रु. देने का समझौता किया जिसमें आयोग ने महज 4 सुनवाई में आवेदिका (भाभी) को अनावेदक द्वारा 15 लाख 55 हजार रूपये दिलाया गया।
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