छत्तीसगढ़दुर्ग

मुख्यमंत्री की पहल: धमधा के सांस्कृतिक महत्व के छह प्राचीन तालाबों का लौटा गौरव

दुर्ग / सांस्कृति महत्व के छह प्राचीन तालाबों का गौरव फिर से लौट आया है। धमधा के छह तालाबों की खुदाई की गई ये तालाब वर्तमान में अस्तित्व खो चुके थे। इन पर कब्जा हो चुका था। इन तालाबों के गौरव को फिर से लौटाने की पहल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर की गई। जिला प्रशासन दुर्ग द्वारा जल संरक्षण के इस मुहिम में आमजनों ने भी भरपूर साथ दिया। विलुप्त होते इन तालाबों की उपयोगिता व सौंदर्य को पुनःस्थापित करने का सराहनीय कार्य की प्रशंसा यहां के ग्रामीणजन कर रहे हैं।

सांस्कृतिक महत्व के धमधा के पुनर्जीवित इन छह तालाबों में विधि-विधान के साथ ताम्रपत्र व काष्ठ स्तंभ की स्थापना भी की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि तालाब हमारी संस्कृति और परंपरा को पल्लवित करते हैं। मुख्यमंत्री की पहल पर इन तालाबों के सौंदर्यीकरण और उन्हें सहेजने का कार्य सराहनीय है। धमधा के अन्य प्राचीन तालाबों के जीर्णाेद्धार करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।

सांस्कृतिक महत्व के इन तालाबों को जिला प्रशासन की मदद से पुनर्जीवित करने के अभियान में सबसे पहले तालाबों को पाट कर किए गए कब्जे को हटाया गया। कब्जा हटाने के बाद तालाबों की फिर से खुदाई हुई। खुदाई के काम में स्थानीय लोगों के साथ-साथ गौरवगाथा समिति, हिन्द एथलेटिक्स क्लब, नगर पंचायत, जल संसाधन विभाग के लोगों ने हिस्सा लिया। तालाब बनने के बाद पूरे विधि विधान से सरई लकड़ी का 12 फीट लंबा स्तंभ लगाया गया और शोभायात्रा निकाल कर त्रिमूर्ति महामाया मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। इन तालाबों का महत्व दर्शाने के लिए इसमें ताम्रपत्र अंकित किया गया। इस ताम्रपत्र में शासकीय तालाब होने, उसके रकबा, खसरा सहित अन्य ऐतिहासिक बातों का उल्लेख किया गया है।

गौरतलब है किकि दुर्ग जिले का धमधा क्षेत्र छै आगर छै कोरी तरिया (126 तालाब) के लिए ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध था। गुजरते समय के साथ ये जल स्रोत विलुप्त होते चले गए और साथ ही लोगों के द्वारा कब्जा करके इसे पाट दिया गया। जिससे 126 तालाबों ने अपना अस्तित्व खो दिया। धर्मधाम गौरवगाथा समिति ने इन तालाबों पर शोध किया और इनकी पूरी पड़ताल करके 126 तालाबों की सूची बनाई, जिसमें रकबा, खसरा नंबर सहित उनके इतिहास को संजोया और एक किताब छै आगर छै कोरी तरिया अऊ बूढ़वा नरवा का प्रकाशन किया, जिस किताब का विमोचन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किया गया।

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