दुर्ग / पाटन के ग्राम अरसनारा में सामुदायिक बाड़ी में उद्यानिकी फसल (सब्जी-भाजी) का उत्पादन भगवती स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। स्व सहायता समूह की दीदी श्रीमती पूर्णिमा पंडरिया ने बताया कि विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ अनुदान स्वरूप शेडनेट हाउस, ड्रीप, सब्जी मिनीकीट, पत्तागोभी, बैंगन, पावर विडर प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि सब्जी-भाजी के उत्पादन से 94 लाख से अधिक की आय प्राप्त हो चुकी है। साथ ही पाटन के फेकारी, केसरा, बोरेंदा, बठेना, कौही एवं दुर्ग के चंदखुरी, गनियारी, पुरई, घुघसीडीह धमधा के पथरिया डोमा, चेटवा, संडी, कोड़िया व अन्य छोटी बड़ी बाड़ियों से महिलाएं आय प्राप्त कर रही हैं।
व्यक्तिगत एवं सामुदायिक बाड़ी का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों के स्वास्थ्य एवं रोजगार की दिशा में मिल का पत्थर साबित हो रही है। “नरवा, गरवा, घुरुवा, बाड़ी“ के माध्यम से उद्यानिकी विभाग द्वारा अनूठी पहल की जा रही है, जिसमें सीमित क्षेत्र से अतिरिक्त आय अर्जित करने के साथ-साथ जिले में कुपोषण स्तर कम करने हेतु व्यक्तिगत एवं सामुदायिक बाड़ी का विकास वृहद स्तर पर किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवेश में निवासरत नागरिकों को अपने गांव एवं घर पर ही ताजी एवं विष रहित पौष्टिक फल एवं सब्जियों उपलब्ध कराना है। इसके अतिरिक्त भोजन की थाली में पोषक खाद्य पदार्थ की संख्या में वृद्धि कर ग्रामीण परिवारों को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से भी सशक्त किया जाना है।
आंकड़ों के अनुसार दुर्ग जिले में वर्ष 2020-21 से सामुदायिक बाड़ियों में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा साग-सब्जी की खेती की जा रही है। जिले में वर्ष 2020-21 में कुल 34 सामुदायिक बाड़ियां थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर छोटी, बड़ी 139 सामुदायिक बाड़ियां हो गई है। धमधा, पाटन एवं दुर्ग विकासखण्ड में 16 फल उद्यानों का निर्माण किया जा रहा है, जहां अमरूद, केला, पपीता आदि उगाया गया है, जिसमें 137 स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 278 हेक्टेयर में 4235.34 किं्वटल साग-सब्जी उत्पादित कर 94.40 लाख का आय अर्जित कर रहे हैं।
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