दुर्ग / अखंड सौभाग्य की कामना के लिए महिलाओं ने यू आदर्श नगर गार्डन के अलावा अलग अलग क्षेत्रो में आज शुक्रवार को महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा की और व्रत रखा।महिलाओं ने बरगद के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना की और वट सावित्री की कथा सुनी।महिलाओं ने सावित्री सत्यवान की व्रत कथा सुनी।इस अवसर पर महिलाओं ने मां सावित्री को नये वस्त्र,कई प्रकार के फल-फूल, सिंदूर,चूड़ी देकर वट वृक्ष की परिक्रमा की और वृक्ष पर कलावा बांधा। महिलाओं ने वृक्ष की 108 बार परिक्रमा कर हर बार नैवेद्य अर्पित किया।
किसी ने मूंगफली तो किसी ने सिक्का या अन्य सामग्री अर्पित कर और जल देकर मंगल कामना की। न्यू आदर्श नगर जोन 3 मार्ग 8 के गार्डन में सुबह से ही महिलाओं को पूजा अर्चना किया।इस अवसर पर श्रीमती सरिता ठाकुर,श्रीमती स्वेता बक्शी,श्रीमती बबिता देशमुख,श्रीमती प्रियंका,श्रीमती ज्योति कानोजे,श्रीमती पूनम सिंह,सीमा राजपूत, ऋतु राजपूत,भुनेश्वर निषाद के अलावा आदि महिलाएं मौजूद रहें। इस अवसर पर श्रीमती स्वेता बक्शी बताया सिर्फ वट सावित्री ही नहीं सभी तरह के व्रत और त्योहार हमारी जिंदगी,समाज और राष्ट्र के लिए मायने रखते हैं।वट सावित्री का व्रत पति-पत्नी के बीच में विश्वास को बढ़ाता है।
आज के समय में जब रिश्ते कमजोर हो रहे हैं तो ये तीज-त्योहार इसे और मजबूती देते हैं।महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रख विधि-विधान से पूजन-अर्चन कीं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। ऐसे में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं।मान्यता है कि वट वृक्ष ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था,जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है।
इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।वट सावित्री व्रत पति के प्रति सम्मान प्रकट करने का माध्यम है। साथ ही व्रत से हम अपनी परंपरा को भी आगे बढ़ाते हैं। सुहाग की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है। व्रत को रखने से मन को शांति भी मिलती है। आने वाली पीढ़ी को भी इस व्रत को करना चाहिए।उन्होंने ये भी बताया कि पति की लंबी उम्र को देखते हुए इस व्रत को रखने की परंपरा है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेव का वास होता है। त्रिदेव से अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ ये व्रत शादी के बाद से ही रख रही हूं।
महिलाओं ने बताया कि सिर्फ वट सावित्री ही नहीं सभी तरह के व्रत और त्योहार हमारी जिंदगी, समाज और राष्ट्र के लिए मायने रखते हैं। वट सावित्री का व्रत पति-पत्नी के बीच में विश्वास को बढ़ाता है।आज के समय में जब रिश्ते कमजोर हो रहे हैं तो ये तीज-त्योहार इसे और मजबूती देते हैं। पति-पत्नी के बीच विश्वास बढ़ता है तो उसका सकारात्मक असर पूरे परिवार पर पड़ता है। आने वाली पीढ़ी यानी बेटे-बेटियां भी जब रिश्तों की इस मजबूती को करीब से महसूस करते हैं तो उन्हें भी इसके मायने समझ आते हैं।