भिलाई:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी जी की तृतीय पुण्य स्मृति दिवस को सेक्टर 7 पीस ऑडिटोरियम में श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी शिक्षाओं को जीवन में धारण करने के संकल्प के साथ मनाया गया।
भिलाई सेवाकेन्द्रों की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने प्रातः राजयोग सत्र के बाद जानकी दादी के शिक्षाओं के बारे में बताया कि दादीजी ने परमात्म श्रीमत में कभी भी मनमत व परमत मिक्स नही की।
दादी जी के दर्शन मात्र से उनके हर कर्म, बोल दृष्टि द्वारा दिव्यता का अनुभव होता था। दादी जी दिव्यजीवन धारी थी अपने दिव्य जीवन से ही वे सभी को शिक्षा देती थी। दादी जी का मुख्य स्लोगन था सच्चे दिल पर साहब राजी।
अर्थात परमात्मा को सच्चाई पसन्द है, मै जो हु जैसी हु परमात्मा की सन्तान हु। दादीजी देह से न्यारे रहने का अभ्यास करती थी। विदेही अर्थात सदा देह से न्यारे,तभी सर्व के प्यारे बन सकते है। 104 वर्ष की उम्र में भी दादीजी ने अथक होकर विश्व की सेवाएं की। दादीजी साइलेन्स में रह कर 90 प्रतिशत स्व सेवा(स्व परिवर्तन) तथा 10 प्रतिशत विश्व सेवा पर अटेंशन देती थी।
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