अपराधछत्तीसगढ़

एक महीने पहले ही CAF जवान ने किया प्रेम विवाह, फिर गला घोंटकर कर दी पत्नी की हत्या….

अंबिकापुर। सरगुजा जिले के मैनपाट के सुपलगा स्थित मछली नदी से मिली युवती की लाश मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। असल में उसकी हत्या की गई थी। उसे किसी और ने नहीं, बल्कि उसके पति ने ही मारा था। युवती ने एक महीने पहले ही CAF(छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स ) जवान से प्रेम विवाह किया था। मगर जवान कहीं और शादी करना चाहता था। इसलिए जबरदस्ती हुई से शादी से परेशान था। जिसके बाद मौका मिलते ही उसने पत्नी की हत्या कर दी। मामला कमलेश्वरपुर थाना क्षेत्र का है। लाश मिलने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, दरिमा थाना अंतर्गत ग्राम नवानगर की रहने वाली दिव्या गुलाब कुजूर (25 वर्ष) का CAF जवान मनीष तिर्की के साथ पिछले 3 सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। युवती अंबिकापुर में किराए का मकान लेकर स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही थी। वहीं जवान मैनपाट के ग्राम सुपलगा का रहने वाला है और फिलहाल सुकमा में पदस्थ है। आरोपी मनीष तिर्की (31 वर्ष) छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में 18वीं बटालियन का जवान है।

महीनेभर पहले दोनों ने कोर्ट में जाकर प्रेम विवाह किया था। इसी बीच 2 मार्च को अचानक युवती लापता हो गई। 6 मार्च को सीएएफ जवान मनीष तिर्की ने कमलेश्वरपुर थाने में पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और ड्यूटी पर सुकमा चला गया।

पुलिस मामले की जांच में जुटी थी। इसी बीच बुधवार यानि 15 मार्च की दोपहर ग्राम सुपलगा स्थित मछली नदी की खोह में ग्रामीणों ने युवती की लाश का कुछ हिस्सा देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकलवाया। शव की पहचान गुम युवती दिव्या गुलाब कुजूर के रूप में हुई। जांच में पुलिस को पता चला कि आखिरी बार युवती अपने पति के साथ ही दिखाई दी थी, जिसके कारण पुलिस का शक पति पर गहरा गया। पुलिस ने सीएएफ जवान को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई।

पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसने 2 मार्च को ही पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी थी और शव को मछली नदी में पत्थरों के बीच दफन कर दिया था। पुलिस को गुमराह करने के लिए उसने 4 दिन बाद खुद थाने जाकर हत्या का मामला दर्ज कराया था। पुलिस ने आरोपी जवान को गिरफ्तार कर लिया है।

प्रेम प्रसंग के कारण दबाव में था आरोपी

आरोपी ने बताया कि वो दिव्या से शादी नहीं करना चाहता था, लेकिन युवती ने उस पर बहुत दबाव बनाया था, जिसके कारण उसने मजबूरी में शादी की थी। पहले दोनों ने मंदिर में शादी की, फिर कोर्ट में शपथपत्र दाखिल किया। यही वजह है कि उसने सुनियोजित तरीके से पत्नी को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया। आरोपी ने ये भी कहा कि उसकी शादी कहीं और फिक्स हो गई थी, लेकिन युवती अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ने को तैयार नहीं थी और उसे कहीं और शादी नहीं करने देना चाह रही थी।

बीते दो मार्च को अंतिम बार उसने अपनी दीदी को फोन कर बताया था कि मनीष उसे मोटरसाइकिल पर बैठाकर कहीं ले जा रहा है। पूछने पर भी कुछ नहीं बता रहा, इस बात की जानकारी मृतका की दीदी ने माता- पिता को दे दी थी। बेटी से संपर्क करने के लिए भी कहा था। माता- पिता बेटी को लगातार फोन लगा रहे थे, लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ बता रहा था।

मायकेवालों ने दामाद पर जताया था संदेह

मृतका के मायके पक्ष के लोगों ने मनीष तिर्की पर संदेह जताया था। बार-बार ससुराल से पड़ रहे दबाव के कारण आरोपी ने कमलेश्वरपुर थाने में पत्नी की गुमशुदगी का केस दर्ज कराया। मृतका के मायके पक्ष के लोगों के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए मैनपाट पुलिस ने जांच शुरू की। आरोपी मनीष तिर्की और उसकी पत्नी दिव्या के मोबाइल फोन की लोकेशन निकाली गई। जिससे पुलिस को मनीष तिर्की के ऊपर संदेह हुआ। अंतिम बार अंबिकापुर के बस स्टैंड से होते हुए दोनों बाइक पर गुजरे थे। वहां के सीसीटीवी कैमरे में दोनों पति-पत्नी साफ नजर आए थे। जिसके बाद पुलिस ने आरोपी पति को हिरासत में ले लिया था।

आरोपी ने बताया कि 2 मार्च को पत्नी दिव्या को अंबिकापुर से अपनी बाइक पर बिठाकर वह अपने गृह ग्राम सुपलगा गया था। यहां पहले से ही उसने पत्नी की हत्या की योजना बनाई हुई थी। घर से लगे मछली नदी के दूसरी ओर गेहूं की फसल की सिंचाई करने का बहाना बनाकर वह पत्नी को नदी के दूसरी ओर ले जा रहा था। पत्नी को पीठ पर बैठाकर नदी पार कराने के दौरान सुनियोजित तरीके से उसने नदी में ही पत्नी को गिरा कर गला दबाकर हत्या कर दी थी और शव को पत्थरों के खोह में ऐसी जगह पर छिपा दिया था, जहां किसी की नजर न पड़े।

इसके बाद पुलिस टीम मायकेवालों और आरोपी को लेकर मछली नदी पहुंची और आरोपी की निशानदेही पर लाश बरामद करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया। मृतका के दोनों हाथ बिजली के तार से बंधे हुए थे। तार के एक हिस्से को मोटी लकड़ी से बांध पत्थरों के बीच इस तरीके से फंसा दिया गया था कि पानी के तेज बहाव में भी शव पत्थरों के बीच से बहकर नदी में ना आए।

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