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नगरीय निकायों में बनेंगे 22 वर्टिकल गार्डन, ग्रीनरी बढ़ाने के साथ ही प्रदूषण की रोकथाम में भी करेंगे मदद…

दुर्ग / जिले के नगरीय निकायों में 22 वर्टिकल गार्डन बनेंगे। सबसे पहले वर्टिकल गार्डन भिलाई में नेहरूनगर ओवरब्रिज और कोसा नाला पुल के दोनों ओर की वाल में बनेंगे। इसके बाद शेष स्थलों में वर्टिकल गार्डन का कार्य शीघ्र ही आरंभ हो जाएगा। यह दिखने में तो सुंदर होता ही है साथ ही प्रदूषण की रोकथाम के लिए भी काफी कारगर होता है। आज कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने इस संबंध में अधिकारियों से विस्तार में चर्चा की।

उन्होंने कहा कि वर्टिकल गार्डन का प्रयोग जिन शहरों में हुआ है वहां हरियाली का दायरा तो विस्तृत हुआ ही है प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिली है। आज हुई बैठक में भिलाई निगम आयुक्त रोहित व्यास, जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

स्मार्ट टायलेट बनेंगे, साफसफाई की पुख्ता व्यवस्था- बैठक में कलेक्टर ने कहा कि नागरिक सुविधाएं हमारे लिए सबसे अहम हैं। बाजार और भीड़भाड़ वाले इलाकों में स्वच्छ पर्याप्त टायलेट्स होने चाहिए। चिन्हांकित जगहों पर ज्यादा नागरिक आवाजाही होती है। वहां पर स्मार्ट टायलेट बनाए जाएंगे। इनमें महिलाओं के लिए अलग से टायलेट बनाए जाएंगे। भिलाई में अभी दस स्मार्ट टायलेट बनाए जाने हैं जिसमें बेबी फीडिंग रूम की व्यवस्था भी होगी।

कलेक्टर ने कहा कि टायलेट्स की साफसफाई सबसे अहम है। इसके लिए पुख्ता व्यवस्था तैयार करें। यात्री प्रतीक्षालय, चौकचौराहे आदि की सफाई की व्यवस्था भी पुख्ता होनी चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि बाजारों में ट्रैफिक की समस्या भी अहम है और अतिक्रमण पर लगातार कार्रवाई चलनी चाहिए ताकि नागरिक सुविधाओं में इजाफा हो सके।

गार्डन्स में बनेंगे प्लेजोन, एसएचजी की महिलाएं चलाएंगी- बागबगीचों की बेहतर रखरखाव की योजना बनाने के लिए भी कहा गया। उद्यानों में प्लेजोन बनाए जाएंगे जिनका संचालन एसएचजी की महिलाएं करेंगी। इनसे उन्हें आय भी होगी और आय का कुछ हिस्सा गार्डन के रखरखाव में भी खर्च किया जाएगा। इसके साथ ही रोडसाइड प्लांटेशन को लेकर भी गहन समीक्षा की गई। लगभग 18 हजार पौधे रोडसाइट प्लांटेशन के लिए और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में प्लांटेशन के लिए तैयार किये गये हैं।

जिन गांवों में 80 मीटर तक भी पानी नहीं, वहां 400 सोकपीट और रिचार्ज पीट बनेंगे- प्रशासन ने बीते दिनों 80 मीटर से नीचे के भूजल वाले गांवों का सर्वे किया था। ऐसे जिले में 57 गांव हैं। इन गांवों में सोकपीट और रिचार्ज पीट तैयार किये जाएंगे। 49 सोकपीट और 370 रिचार्ज पीट तैयार किये जाएंगे।

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