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Pakistan Economic Crisis: क्या मंदी से बच जाएगा कंगाल हो रहा पाकिस्तान? IMF से लाइफलाइन का इंतजार

पाकिस्तान (Pakistan Economic Crisis) की मौजूदा आर्थिक स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है. अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या पैसों की जबरदस्त कमी से जूझ रहा पाकिस्तान क्या देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों को कंट्रोल कर पाएगा? दरअसल, पाकिस्तान में महंगाई लोगों की कमर तोड़ रही है. अब लोगों को लिए कॉस्ट ऑफ लिविंग का बोझ उठाना मुश्किल होता जा रहा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान का करेंट अकाउंट डेफिसिट यानी CAD जनवरी में 90.2 फीसदी घटकर अब 0.24 अरब डॉलर रह गया है. बीते साल ये 2.47 अरब डॉलर के स्तर पर था.

जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के अधिकारियों को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बेलआउट पैकेज को जारी करने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है, ऐसा न हो कि लोग विरोध में सड़कों पर उतर आएं, जिससे देश में सामाजिक तनाव, अराजकता, अव्यवस्था और अनिश्चितता पैदा होगी, जो चीजों को और मुश्किल बना सकती है.

करेंट अकाउंट डेफिसिट हुआ कम

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक आयात में अप्रत्याशित गिरावट के चलते करेंट अकाउंट डेफिसिट में कमी आई है. इसका असर औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ सकता है. सभी क्षेत्रों की कई कंपनियों ने या तो अपने ऑपरेशन बंद कर दिया है या उत्पादन स्तर घटा दिया है, जिससे कई लोगों की नौकरी चली गई है. एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में पाकिस्तान के लिए 3.5 फीसदी की अनुमानित जीडीपी ग्रोथ हासिल करना काफि मुश्किल है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक कि डेफिसिट में गिरावट दर्ज की गई क्योंकि पेमेंट संकट के बावजूद आयात प्रतिबंध जारी है, जिसने देश को डिफॉल्ट होने के कगार पर ला दिया है. इस्माइल इकबाल सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख फहद रऊफ का कहना है कि घटता करेंट अकाउंट डेफिसिट उपलब्धि नहीं बल्कि कम भंडार का परिणाम है.

ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में पाकिस्तान का CAD 3.8 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 की जुलाई-जनवरी की अवधि की तुलना में 67.13 फीसदी कम है. वहीं 10 फरवरी तक सेंट्रल बैंक के पास सिर्फ 3.2 अरब अमेरिकी डॉलर का भंडार है जो बड़ी मुश्किल से तीन हफ्ते के आयात के लायक होगा.

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में पाक सरकार और IMF के बीच स्टाफ लेवल एग्रीमेंट के बिना 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का रिव्यू पूरा किया गया था. सरकार ने उम्मीद जताई थी कि आईएमएफ को धीरे-धीरे शार्ते लागू करने के लिए मना लेंगे. हालांकि पाकिस्तान के इस सपने को करारा झटका लगा था.

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