
Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. अपने पिछले बजट भाषणों में सीतारमण ने अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए कविताओं का सहारा लिया था. उम्मीद की जा रही है कि अपने आगामी बजट भाषण में भी वे इन्हें जगह देंगी.
1/5

बजट आंकड़ों का भंडार होता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोगों को बजट भाषण काफी नीरस और उबाऊ लगता है. इसी नीरसता को तोड़ने के लिए कई बार बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री शेरो-शायरी और कविताओं का सहारा लेते हैं. आइए जानते हैं कि आम बजट पेश करते समय किन-किन वित्त मंत्रियों ने अपने भाषण में लगाया शायरी का तड़का.
2/5
साल 2021 में देश कोरोना से जूझ रहा था. कोरोना संकट से जूझ रहे देश को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों, ‘उम्मीद एक ऐसा पक्षी है जो प्रकाश को महसूस करता है और अंधेरे में भी चहचहाता है.’ पढ़कर देश को नई उम्मीदें देने की कोशिश की. वित्त मंत्री सीतारमण ने तमिल संत तिरुवल्लुवर (Tamil poet Thiruvalluvar) की कविता भी पढ़ी.
3/5
साल 2016 का बजट दिवंगत अरूण जेटली (Arun Jaitley) ने पेश किया था. अपने बजट भाषण में उन्होंने भी मोदी सरकार के सामने खड़ी चुनौतियों से सदन को रूबरू कराने के लिए उर्दू नज्म का सहारा लिया. जिसकी पंक्तियां कुछ इस तरह हैं- ‘कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें, लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें, फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको, इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें.’
4/5
भारत में आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करने वाला साल 1991 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री मंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने पेश किया था. भारत की आर्थिक क्षमता के बारे में बताते हुए उन्होंने फ्रांसीसी लेखक विक्टर ह्यूगो का मशहूर उद्धरण का उल्लेख किया. ह्यूगो ने एक बार कहा था, “जिस विचार का समय आ गया होता है, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती.”
5/5
2001 का बजट तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने पेश किया था. बात जब आर्थिक सुधारों की आई तो उन्होंने भी शायरी का सहारा अपनी बात स्पष्ट करने के लिए लिया. उन्होंने पढ़ा, “तकाजा है वक्त का की तूफान से जूझो, कहां तक चलोगे किनारे-किनारे.”
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे