नई दिल्ली. आजकल वैसे तो एक नौकरी से दूसरी नौकरी में स्विच करना काफी आम बात है. कोई अच्छे वर्क कल्चर के लिए तो कोई अच्छे मेहनताने के लिए ऐसा करता है. हालांकि, नौकरी स्विच करने इतनी सरल प्रक्रिया नहीं होती है. इसके लिए आपको कई तरह के काम निपटाने होते हैं. क्या आप जानते हैं कि नौकरी बदलने पर टैक्स संबंधी जटिलताएं भी सामने आ सकती हैं.
आज हम आपको बताएंगे कि कैसे इस्तीफा देने के बाद मिलने वाली आय पर टैक्स लगता है. आप जानते हैं कि कंपनी में इस्तीफा देने के एक निश्चित समय बाद तक भी आपको वहां काम करना होता है. यह अलग-अलग कंपनियों पर निर्भर करता है कि वह आपसे इस्तीफा लेने के कितने दिन बाद तक काम कराएंगी.
अमूमन 30 से 60 दिन का पीरियड होता है. मान लीजिए आपको 60 दिन का नोटिस सर्व करना है लेकिन आप चाहते हैं कि आप जल्दी वहां से निकल जाएं. ऐसे में आपको कंपनी को नोटिस पीरियड का पैसा चुकाना होगा जो कि सिर्फ आपका मासिक वेतन नहीं होगा बल्कि उसमें टैक्स भी जुड़ेंगे.
बात यहीं खत्म नहीं
मान लीजिए कि कंपनी ही आपको 60 दिन की सैलरी देकर आपको रिलीव कर देती है. इस केस में कंपनी टैक्स भरते समय डिडक्शन के लिए आवेदन कर सकती है. लेकिन इससे आपको कोई लाभ नहीं मिलेगा. वहीं, अगर आपकी नई कंपनी आपके नोटिस पीरियड का अमाउंट चुकाती है तो आप पर अतिरिक्त टैक्स लग जाएगा.
दरअसल, अगर नई कंपनी 2 महीने की सैलरी (टैक्स सहित) पुरानी कंपनी को चुकाती है तो ये पैसे आपकी आय में जोड़ दिए जाएंगे. इस पर आपकी आय के अनुरूप टैक्स लगेगा. इसका मतलब है कि अब आप पर केवल 12 महीने का नहीं 14 महीने के हिसाब से टैक्स लगेगा. ऐसा टैक्स नियमों में एक गड़बड़ी के कारण होता है जिसे इस बार बजट में हटाने की मांग की जा रही है.
क्या है मांग
आईसीएआई के प्री-बजट मेमोरेंडम 2023 में इस गड़बड़ी को दूर करने की मांग की गई है. यह मांग की जा रही है कि नोटिस पीरियड के लिए मिलने वाली रकम को पूर्व-नियोक्ता के हाथों में कर-योग्य बनाया जाए ना कि कर्मचारी पर टैक्स लगाया जाए.
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