छत्तीसगढ़दुर्ग

नियमों में बंधने पर लोक नृत्य शास्त्रीयता की श्रेणी में आती है: डॉ मोनिका सिंह

छत्तीसगढ़ / राष्ट्रीय राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2020 के अनुरूप स्कूली शिक्षा में छत्तीसगढ़ी लोक कला व स्थानीय भाषा को पाठ्यक्रम में समाहित करने की दृष्टि से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अछोटी दुर्ग की द्वारा प्राचार्य डॉ.रजनी नेलशन के मार्गदर्शन व कला शिक्षा प्रभारी व
व्ही. व्ही. आर. मूर्ति के संयोजन में तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ी लोक कला व संस्कृति आधारित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला संदिपनी बालक छात्रावास फरीद नगर सुपेला में संपन्न हुई।

समापन संध्या में क्षेत्र की सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना डॉ. मोनिका सिंह, समाजसेवी मंजू पाल, डॉ. हिमांगी पाल, डॉ रजनी नेलशन, डॉ.बी.रघु कुमार, एपीसी विवेक शर्मा ने मां सरस्वती के तैल चित्र पर माल्यार्पण व धूप-दीप प्रज्वलित कर संगीत संध्या का शुभारंभ किया। प्रशिक्षण प्रभारी व्ही. व्ही. आर. मूर्ति ने उपस्थित अतिथियों को तीन दिवस की कार्यशाला में हुई ओरिगामी, मुखौटा निर्माण, मधुबनी चित्रकला, बांधनी कला, पुतली कला,ओरिगमी को पाठ्यक्रम के साथ समाहित करने की योजना कोई स्पष्ट की ।

प्रतिभागी शिक्षिका वंदना वर्मा, डॉ.दुलारी चंद्राकर ने तीन दिवस की कार्यशाला का प्रतिवेदन वाचन कर इसे बेहद उपयोगी, बच्चों के लिए सृजनात्मक कार्यशाला बताया । सत्र में डॉ. मोनिका सिंह ने शास्त्रीय नृत्य के प्रादुर्भाव, कला गुरुओं के योगदान का उल्लेख करते हुए लोकनृत्य को निरंतर कलाकारों द्वारा नियमबद्ध कर प्रस्तुत करने को शास्त्रीय नृत्य के रूप में परिभाषित किया गया।

उनके द्वारा गणेश वंदना, कृष्ण की बाल लीला, कालिया नाग नांथने को कत्थक शैली की भाव भंगिमाओं के द्वारा प्रस्तुत करें उसके सिद्धांत पक्ष को स्पष्ट किया । डॉ.बी. रघु कुमार सहायक संचालक जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने प्रतिभागियों को ज्ञान, रुचि व सौंदर्य बोध बच्चों में जागृत करने की प्रेरणा दी तथा कलाओं का उपयोग बच्चों के मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक व शैक्षिक विकास में करने की अपील की।

विशिष्ट अतिथि व नेहरू नगर की समाजसेवी मंजू पाल व डॉक्टर हिमांगी पाल द्वारा बालक छात्रावास के विद्यार्थी युवराज वर्मा,सूरज निर्मलकर, विवेक देसलहरें,प्रिंस थापा, रोहन भट्ट, ओम बैरागी, सूरज ठाकुर, प्रिंस बैरागी, राम कुमार को स्वेटर भेंट किया गया ।

समापन अवसर पर प्रतिभागी शिक्षिका संगीता चंद्राकर, ममता वर्मा, नंदिनी देशमुख, मंजू सिंह, वंदना वर्मा, शशि कला पांडे द्वारा छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी,खुरमी, बोबरा,फरा,चीला, गुलकुल भजिया, अइरसा,करी लड्डू,चना लड्डू, सोंठ लड्डू ,मुर्रा लड्डू, बालूशाही आदि पकवानों सहित कार्यशाला में निर्मित कलाकृतियों, राम कुमार वर्मा द्वारा मुखौटा व स्कूल संग्रहालय की प्राचीन और दुर्लभ सामग्रियां, संजय गौतम द्वारा काष्ठकला की सामग्रियों,युगल किशोर देवांगन द्वारा पुतली कला,लाखेश्वर साहू द्वारा बांधनी वस्त्र अलंकरण, देवेंद्र कुमार बंछोर द्वारा ओरिगेमी,मिलिंद कुमार चंद्रा द्वारा मधुबनी चित्रकला की प्रदर्शनी लगाई गई ।

कार्यशाला के समापन अवसर पर अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में डॉ. रजनी नेलशन प्राचार्य डाइट अछोटी ने प्रतिभागियों से अपील कर कार्यशाला में सीखे गयी कलाओं का उपयोग पाठ्यक्रम को बच्चों के लिए रोचक, कलात्मक सृजनात्मक बनाते हुए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की मूल भावना को शाला में प्रदर्शित करने की अपील की। कार्यशाला में‌ स्रोत के रूप में राम कुमार वर्मा, लखेश्वर साहू, मिलिंद कुमार चंद्रा, युगल किशोर देवांगन, देवेंद्र कुमार बंछोर,लाखेश्वर साहू आदि ने सक्रियतापूर्वक शिक्षकों को कलाओं का प्रायोगिक अभ्यास कराया । इसमें डाइट के व्याख्याता आर .के. चंद्रवंशी, नीलम दुबे, डॉ वंदना सिंह, अनुजा मुर्रेकर, बालक छात्रावास के अधीक्षक धर्मजीत साहू, रवि दुबे, शत्रुघ्न सिन्हा, मनीष आदि का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।

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