chhattisgarhछत्तीसगढ़भिलाई

शिक्षक बच्चों के श्रेष्ठ मार्गदर्शक हैं: डॉ रजनी नेलशन

भिलाई / राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप जिले के स्कूलों में छत्तीसगढ़ी लोक कला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पाठ्यक्रम शिक्षण द्वारा समायोजित करने की दृष्टि से जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अछोटी दुर्ग द्वारा तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ी लोक कला प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ सांदीपनि बालाक छात्रावास समग्र शिक्षा फरीदनगर सुपेला भिलाई में किया गया।

प्रशिक्षण के प्रारंभ में कला शिक्षा प्रभारी व्ही. व्ही. आर. मूर्ति, स्रोत व्यक्ति राम कुमार वर्मा, देवेंद्र कुमार बंछोर,लाखेश्वर साहू, युगल किशोर देवांगन,मिलिंग कुमार चंद्रा सहित प्रतिभागी शिक्षकों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व धूप- दीप प्रज्वलित किया। लाखेश्वर साहू, संगीता चंद्राकर ,संध्या पाठक,यशोदा राजपूत ने सरस्वती वंदना व राज गीत अरपा पैरी के धार का सांगीतिक प्रस्तुति की।

प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रमुख उद्देश्यों की चर्चा करते हुए व्ही. व्ही. आर. मूर्ति ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शालाओं में स्थानीय, छत्तीसगढ़ी लोक कला का समायोजन करते हुए सीखने के प्रतिफल को ध्यान रखते हुए बच्चों की प्रतिभा को बढ़ाते हुए स्थानीय कलाओं को समृद्ध करने में शिक्षकों की भूमिका रेखांकित करना आवश्यक है।

प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत में लाखेश्वर साहू ने राजस्थान में प्रचलित बांधनी परिधान कला के पी. पी. टी. का प्रदर्शन कर प्रतिभागियों को देश की समृद्ध साली वस्त्र अलंकरण परंपरा से परिचित कराया । इसी कड़ी में स्रोत व्यक्ति राम कुमार वर्मा ने मुखौटा निर्माण कला के पौराणिक इतिहास से लेकर रामलीला में प्रयुक्त होने सहित वर्तमान में छत्तीसगढ़ में जसगीत झांकी में प्रमुखता से मुखौटों के प्रयोग होने की जानकारी पी पी टी प्रदर्शन कर दी।

सत्र में 40 प्रतिभागियों को 5 समुहों में मुखौटा, जापानी कला ओरिगामी, बिहार की मधुबनी पेंटिंग, पुतली कला, राजस्थान की बांधनी कला आदि का प्रायोगिक अभ्यास कराया गया। प्रशिक्षण के मध्यांतर पश्चात छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक वाद्य संग्राहक व लोक कलाकार रिखी क्षत्री का लोक वाद्यों पर व्याख्यान और प्रदर्शन हुआ। जिसमें वे अपने द्वारा संग्रहित दुर्लभ और विलुप्त होते लोक वाद्यों का प्रदर्शन कुशलता से वादन, इसके खोज के कारणों, उपयोगिता व प्रचलन की चर्चा प्रतिभागियों के बीच की।

लोक वाद्यों की परंपरा को आगे समृद्ध करने में शिक्षकों को सहयोग करने की अपील की। इस मौके पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान अछोटी की प्राचार्य डॉ.रजनी नेल्सन ने रिखी क्षत्री की कला यात्रा की चर्चा कर उनके प्रति आभार व्यक्त कीं। शाला श्रीफल भेंट कर डाइट की ओर से सम्मानित किया। डॉ. रजनी नेलशन ने ने अपने उद्बोधन में सभी शिक्षकों को देश के भावी पीढ़ी के बच्चों के श्रेष्ठ मार्गदर्शक बनने की प्रेरणा दी तथा कहा कि वर्तमान की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका बदली है।

साथ ही प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को बच्चों में हस्तांतरित करते हुए बहुभाषा शिक्षण व प्रारंभिक साक्षरता व गणितीय कौशल को विकसित करने में सहयोग प्रदान करने की अपील की। प्रतिभागी शिक्षकों को मिशन मोड में काम करने की प्रेरणा दी। इस मौके पर उन्होंने डाइट अछोटी में एक सांस्कृतिक कक्ष व कला संग्रहालय विकसित करने में शिक्षकों के योगदान को रेखांकित किया।

इस अवसर डाइट अछोटी के व्याख्याता आर.के‌. चंद्रवंशी, एस.एस.धुरंधर,नीलम दुबे,अनुजा मुर्रेकर, डॉ. वंदना सिंह आदि उपस्थित थे। इसमें स्रोत व्यक्ति द्रोण कुमार सार्वा, नंदिनी देशमुख, धरमजीत साहू, रवि दुबे, शत्रुहन सिन्हा, मनीष ठाकुर, संगीता चंद्राकर,ममता वर्मा,पत्ते लाल साहू, दुलारी चंद्राकर आदि ने सहयोग किया।

संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे

https://jantakikalam.com

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button