छत्तीसगढ़दुर्ग

बुजुर्गों और बच्चों पर जिला प्रशासन के सरोकार देखने पहुंची मानवाधिकार आयोग की टीम

दुर्ग / राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष गिरिधारी नायक एवं सदस्य नीलम चंद सांखला दुर्ग पहुंचे। यहां उन्होंने मानवाधिकार आयोग में दर्ज प्रकरणों के निराकरण की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की और जेल, बाल संप्रेक्षण गृह जिला अस्पताल, आश्रमशाला, आंगनबाड़ी और कोतवाली थाने भी पहुंचे। उन्होंने कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा से मानवाधिकार आयोग में दर्ज प्रकरणों के निराकरण की वस्तुस्थिति भी पूछी। अध्यक्ष ने निराकरण की स्थिति पर संतोष व्यक्त किया।

अध्यक्ष ने कोविड महामारी से मृत लोगों के परिजनों के मुआवजा प्रकरणों की जानकारी ली तथा शीघ्रता से मुआवजा के लिए शेष पात्र परिजनों को भुगतान कराने कहा। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों से जुड़ी जिम्मेदारी भी अहम है। जिन बुजुर्गों के परिजन उनका ध्यान नहीं रख रहे हैं। उन्हें मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पेरेंट्स एक्ट के अंतर्गत राहत प्रदान करें। उन्होंने कार्यस्थलों पर भी महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने कहा।

मजिस्ट्रीय इन्क्वारी में उन्होंने एनएचआरसी की गाइडलाइन का विशेष रूप से ध्यान रखने कहा। टीम ने कोतवाली थाने का निरीक्षण भी किया और पुराने प्रकरणों के विधिवत निराकरण के लिए कहा। इस दौरान एसपी डा. अभिषेक पल्लव, अपर कलेक्टर अरविंद एक्का भी मौजूद रहे। छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग की टीम से श्याम कुमार साहू उपसचिव (न्यायाधीश), मनीष मिश्र संयुक्त संचालक, कुटेश्वर चंद्रा लेखाधिकारी, निरीक्षक द्वय वीपी चौहान एवं श्रीमती माया शर्मा सहित अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा।

जिला चिकित्सालय में पृथक जेल वार्ड बनाने सुझाव दिये- अध्यक्ष ने जिला चिकित्सालय का भ्रमण भी किया। उन्होंने यहां इलाज के लिए आने वाले बंदियों के लिए पृथक वार्ड बनाने सुझाव दिये। यहां उन्होंने मरीजों से स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बातचीत की। उनसे भोजन और दवाईयों के बारे में बात की। हमर लैब भी देखा। यहां डाक्टरों ने बताया कि यहां 90 तरह के टेस्ट निःशुल्क होते हैं। इस पर उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने जेल का निरीक्षण भी किया। यहां सुविधाओं की जानकारी ली। बंदियों से सुविधाओं के बारे में पूछा। यहां पर उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी भी ली।

नशामुक्ति के लिए करें कार्य- बाल संप्रेक्षण गृह के दौरे में उन्होंने विधि विरुद्ध बच्चों से बातचीत की। बातचीत में यह बात सामने आई कि अधिकांश बच्चों ने गुस्से में या नशे में वारदात की। अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग करें। इसके साथ ही बच्चों की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने के लिए ट्रेनर्स को भी बुलाने कहा ताकि बच्चे शुभ कार्य की दिशा में प्रेरित हो सकें। उन्होंने बच्चों से कहा कि परिस्थिति, संगति और मन का घटना से बहुत संबंध रहता है।

मन को शांत रखने इन्हें योग और ध्यान सिखायें। इन्हें पढ़ाई के साथ ही मोबाइल रिपेयरिंग जैसे छोटे-छोटे काम सिखाएं ताकि ये अपने पैरों पर खड़ें हो सकें और अनावश्यक भटकाव से बचें। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि यहां लगातार ऐसी सकारात्मक गतिविधियां की जा रही हैं। वृद्धाश्रम, आश्रम शाला और आंगनबाड़ी केंद्र भी देखे- दल वृद्धाश्रम, आश्रम शाला और आंगनबाड़ी केंद्र भी पहुंचा। यहां उन्होंने सुविधाओं की जानकारी ली। वृद्धाश्रम में खाने के बारे में जानकारी ली और किचन देखा। वृद्धजनों से सुविधाओं की जानकारी ली। आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण की स्थिति और सुविधा देखी।

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