छत्तीसगढ़दुर्ग

न्यूमोनिया से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया अभियान ‘सांस’…

दुर्ग / न्यूमोनिया से बचाव के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से न्यूमोनिया दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय की एमसीएच बिल्डिंग में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष अभियान की शुरुआत की गई है, जिसे “सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज न्यूमोनिया सक्सेसफुली यानी ‘सांस’ (SAANS)” नाम दिया गया है।

यह अभियान 28 फरवरी 2023 तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न माध्यमों से न्यूमोनिया के कारण, लक्षण तथा इसके उपचार के उपायों का प्रचार किया जाएगा तथा बच्चों को न्यूमोकोकल कान्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी) लगवाने पर जोर दिया जाएगा। न्यूमोनिया,सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है जिसमें फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है।

न्यूमोनिया संक्रमण होने पर लंग्स में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है। न्यूमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और कवक सहित कई संक्रामक वाहकों की वजह से होता है। वहीं अगर संक्रमण के शुरुआती समय में ही उपचार शुरू किया जाए या समय पर टीकाकरण कराया जाए तो इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।

न्यूमोनिया से बचाव हेतु इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों को प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रत्येक वर्ष 12 नवंबर को विश्व न्यूमोनिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी कड़ी में जिला कलेक्टर दुर्ग पुष्पेंद्र मीणा के निर्देश तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. जेपी मेश्राम के मार्गदर्शन में आयोजित विश्व न्यूमोनिया दिवस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक दुर्ग अरुण वोरा थे।

वहीं महापौर धीरज बाकलीवाल ने अध्यक्षता की। निमोनिया दिवस के मौके पर शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों में न्यूमोनिया की रोकथाम (सुदृढ़ पोषण स्वच्छता द्वारा), जल्द से जल्द न्यूमोनिया की पहचान व उपचार हेतु चिकित्सीय परामर्श की जानकारी दी गई। जिसमें सिविल सर्जन डॉ. वायके शर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.रजनीश मल्होत्रा, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा जैन, शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. हेमंत साहू व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. समीत प्रसाद राज ने सेवाएं दी।

इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बताया “न्यूमोनिया एक संक्रामक बीमारी है। ठंड का मौसम न्यूमोनिया के संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा सकता है इसलिए शिशुओं की विशेष देखभाल जरूरी है। आमतौर पर न्यूमोनिया का संक्रमण दो से पांच साल के बच्चों को जल्दी प्रभावित करता है, लेकिन कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग तथा बुजुर्ग भी इससे ग्रसित हो सकते हैं।

बच्चों को होने वाले न्यूमोनिया को टीकाकरण से रोका जा सकता है। बच्चों को न्यूमोकोकल कान्जुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी का टीका 6 सप्ताह, 14 सप्ताह एवं 9 वें महीने पर लगाने होते हैं। इस टीके को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में भी शामिल किया गया है। साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पतालों में आवश्यक टीकाकरण की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है।

पीसीवी का टीका बच्चों को न्यूमोनिया से बचाने में काफी असरदार है। इसलिए समय पर बच्चे का टीकाकरण जरूर कराना चाहिए।” आगे उन्होंने बतायाः “आगामी 28 फरवरी तक चलाए जा रहे सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज न्यूमोनिया सक्सेसफुली यानी ‘सांस’ (SAANS) अभियान के अंतर्गत स्वास्थ विभाग की टीम द्वारा जिले के सभी क्षेत्र में घर-घर तक न्यूमोनिया से बचाव के आवश्यक उपायों तथा पीसीवी टीकाकरण के महत्व की जानकारी दी जाएगी।”

‘सांस’ अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में जिला के आईडीएसपी नोडल डॉ.आरके खंडेलवाल, जिला ब्लड बैंक नोडल डॉ. संजय कुमार जांगड़े, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पद्माकर शिंदे, आरएमएमसीएच कंसलटेंट डॉ. रश्मि भोसले एवं टीकाकरण कार्यक्रम के स्टाफ उपस्थित थे।

न्यूमोनिया के लक्षण

आमतौर पर सर्दी, जुकाम से होती है। जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है। सीने में दर्द की शिकायत होती है। कम उम्र के बच्चों को बुखार नहीं आता लेकिन खांसी और सांस लेने में परेशानी होती है।

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