रायपुर / आदिम संस्कृति सभी को जोड़ने का कार्य करती है। इसे सहेज कर और इसकी खूबसूरती को बड़े फलक पर दिखाने के उद्देश्य से हमने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस आयोजन में बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की। रात बारह बजे तक लोग इस सुंदर आयोजन को देखने बड़ी संख्या में जुटते रहे।
यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के समापन के अवसर पर कही। उन्होंने इस मौके पर अपने संदेश में कहा कि हमने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया। साथ ही 22 देश के आदिवासी कलाकार इस आयोजन में शिरकत करने के इच्छुक थे लेकिन समयसीमा को देखते हुए हमने केवल 10 देशों को स्वीकृति दी।
इस आयोजन के माध्यम से लोगों ने जाना कि हमारी आदिवासी संस्कृति कितनी समृद्ध है। इनके नृत्यों के माध्यम से प्रकृति और लोकजीवन को सहेजने के सुंदर मूल्य जो सीखने को मिलते हैं वो सीख हमारे लिए अमूल्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने शिल्प कला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टाल भी लगाए।
इनमें बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जुटी, उससे पता लगता है कि हमारी आदिवासी कला को जानने के लिए लोग कितने उत्सुक हैं और यह कितनी समृद्ध लोककला है। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि हम 22 साल से स्थापना दिवस मना रहे हैं। अब राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव भी मना रहे हैं। इससे हमारी खुशी दोगुनी हो गई है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शिरकत करने पहुंचे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति भी विशेष रूप से आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महोत्सव के आयोजन के साथ ही हम प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन भी कर रहे हैं। इसमें 20 लाख प्रतिभागियों ने अब तक हिस्सा लिया है। इसमें बच्चे और बुजुर्ग सब शामिल हैं।
70 साल की बुजुर्ग महिलाएं भी फुगड़ी खेल रही हैं। सबको बचपन की यादें ताजा हो गई हैं। इन खेलों से मोबाइल से ध्यान हटा, यह भी बड़ी बात है। इस मौके पर अपने संबोधन में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री बघेल छत्तीसगढ़ में ऐसे वर्ग को आगे बढ़ा रहे हैं जिनका सदियों से शोषण हुआ है।
उनकी सरकार आदिवासी, दलित और पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही सबके विकास के लिए कार्य कर रही है। मुझे इस मंच में आकर गौरव महसूस हो रहा है। इस मौके पर गृह एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से हमारी आदिवासी संस्कृति को सहेजने का बड़ा काम राज्य शासन द्वारा हुआ है।
संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने इस मौके पर कहा कि लोगों ने महोत्सव का भरपूर आनंद लिया और इससे हमारी समृद्ध आदिवासी संस्कृति की झलक एक बड़े मंच में दिख रही है। इस मौके पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ विभागीय प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, संसदीय सचिव कुंवरसिंह निषाद, विधायक धनेन्द्र साहू, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा, पीसीसीएफ संजय शुक्ला, पर्यटन विभाग के सचिव अन्बलगन पी. एवं संचालक संस्कृति विवेक आचार्य मौजूद थे।
फसल कटाई की श्रेणी में पहला स्थान छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य को- राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पुरस्कार भी इस अवसर पर दिये गये। फसल कटाई की श्रेणी में प्रथम स्थान पर छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य को, दूसरे स्थान पर ओडिशा के ढेंगसा नृत्य को और तीसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश के गद्दी नृत्य को पुरस्कृत किया गया।
विवाह संस्कार में पहला स्थान सिक्किम को- विवाह संस्कार एवं अन्य श्रेणी में पहला स्थान सिक्किम को, दूसरा स्थान ओडिशा को और तीसरा स्थान झारखंड को मिला। विशेष ज्यूरी सांत्वना सम्मान असम को और गुजरात को मिला। इसके अलावा विदेश से आये कलाकारों का भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सम्मान किया।
कृषि विभाग की प्रदर्शनी को पहला स्थान- इस मौके पर विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी भी पुरस्कृत की गई। पहला स्थान कृषि विभाग को, दूसरा स्थान ऊर्जा विभाग को और तीसरा स्थान वन विभाग को मिला। सार्वजनिक उपक्रमों की श्रेणी में पहला पुरस्कार बाल्को, दूसरा पुरस्कार एनएमडीसी तथा तीसरा पुरस्कार एनटीपीसी को मिला।
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