
वृंदावन / मथुरा के वृंदावन में शुक्रवार को दो महिलाओं की हुई मौत के 48 घंटे बाद भी परिजन अंतिम संस्कार करने नहीं पहुंचे। परिजनों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने अंतिम संस्कार करने से ही मना कर दिया। पुलिस ने समाजसेवी की मदद से रविवार की देर शाम अंतिम संस्कार करवाया।
आधार कार्ड से हुई थी शिनाख्त –
पुलिस ने जब उनके पास मौजूद पोटली को चैक किया तो उसमें से आधार कार्ड मिले थे। जिससे पता चला कि मरने वाली एक महिला चंपा गुप्ता पत्नी नरसिंह गुप्ता पुरानी टिकैत गंज चौक लखनऊ की रहने वाली हैं। जबकि दूसरी सुशीला देवी पत्नी अर्जुन प्रसाद बिहार की रहने वाली थीं।
परिजनों से किया संपर्क –
पुलिस ने महिलाओं के शव पोस्ट मार्टम भेजने के बाद परिजनों से सम्पर्क करने का प्रयास शुरू कर दिया। काफी प्रयास के बाद परिजनों से सम्पर्क हुआ। लेकिन परिजनों का जो जवाब मिला उसने पुलिस को भी झकझोर दिया। परिजनों ने पुलिस से कहा कि वह खुद ही अंतिम संस्कार कर दें।
सुशीला देवी के बेटे बहू ने आने से किया इंकार –
पुलिस ने सुशीला देवी के बेटे शैलेंद्र से संपर्क किया और उनको जानकारी दी। लेकिन सुशीला देवी के बेटे और बहू ने आने से मना कर दिया। इसके बाद रिश्तेदारों के जरिए संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन बदलते समाज में इस तरह की तस्वीर सामने आएगी पुलिस ने सोचा भी नहीं था।
वृंदावन मोक्ष धाम पर हुआ अंतिम संस्कार –
परिजनों की बेरुखी से आहत पुलिस ने दोनों का अंतिम संस्कार करने का मन बनाया और संपर्क किया समाजसेवी लक्ष्मी गौतम से। पुलिस और समाजसेवी लक्ष्मी गौतम पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। जहां नियमानुसार कार्यवाही करने के बाद रविवार की देर शाम दोनों के शव वृंदावन मोक्ष धाम लाए गए। जहां विधि विधान से दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
समाज की बदलती तस्वीर को बयां कर रहे थे हालात –
मोक्ष धाम पर पुलिस की मौजूदगी में हुए अंतिम संस्कार करने वाली समाजसेवी लक्ष्मी गौतम ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से लावारिस, बेसहारा और निराश्रितों का अंतिम संस्कार करती हैं। ऐसी घटना बहुत ही कम उनके सामने आती है जब अपने बेरुखी दिखाते हुए अपनों का ही अंतिम संस्कार करने से मना कर देते हैं। यह बदलते समाज की वह तस्वीर है जो आधुनिकता के दौर में अपनों को अपनों से दूर कर रही हैं।
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे