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गर्भवती बहू की डेडबॉडी से निकाला बच्चा, श्मशान में स्वीपर ने ब्लेड से पेट चीरा…

जबलपुर / ससुरालवालों ने 8 महीने की गर्भवती मृत बहू का पेट चिरवाकर शिशु काे बाहर निकलवाया। इसके लिए श्मशान में स्वीपर को बुलाया गया। मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतक की मां वीडियो लेकर थाने पहुंच गई। जबलपुर में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां 8 महीने की गर्भवती बहू के शव का पेट चिरवाकर ससुरालवालों ने बच्चा निकलवाया। श्मशान घाट में ये काम स्वीपर से करवाया गया। उसने ब्लेड से शव का पेट फाड़ा। पेट से बच्चे के शव निकाला। फिर बहू का अंतिम संस्कार किया। बच्चे को श्मशान में अलग दफनाया गया।

SP ऑफिस शिकायत लेकर पहुंची मृतका की मां गौरा बाई ने बताया कि 25 साल की बेटी राधा की शादी 24 अप्रैल 2021 को पनागर में गोपी पटेल से हुई थी। शादी के बाद से ही ससुरालवाले दहेज में बाइक की डिमांड कर रहे थे। बेटी राधा 8 माह की गर्भवती थी। 17 सितंबर को उसकी संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी। गौरा बाई ने बेटी के पेट चीरने का VIDEO बुधवार को शिकायत के साथ पुलिस को दिया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं।

स्वीपर ने पेट पर कई बार ब्लेड चलाई –

मां गौरा बाई का कहना है कि ससुरालवालों की सूचना पर हम भी श्मशान घाट पहुंचे थे। वहां शव को अर्थी से अलग रखकर ससुराल पक्ष के लोगों ने स्वीपर को बुलाया। स्वीपर से बेटी के पेट को चिरवाया। इसका VIDEO वहां किसी ने बना लिया। स्वीपर ने एक के बाद एक कई बार पेट में ब्लेड चलाकर शिशु को निकालने का प्रयास किया। शिशु बच्चादानी सहित बाहर आ गया। इसके बाद बच्चादानी को काटकर शिशु को बाहर निकाला गया। बाद में बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया, नजदीक ही मृत शिशु के शव को दफना दिया गया।

इस मामले में पनागर थाना प्रभारी आरके सोनी का कहना है कि जांच शुरू कर दी गई है। जांच में जो भी तथ्य सामने जाएंगे, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ससुरालवालों की दलील- हिंदू रीति-रिवाज में दाह संस्कार साथ नहीं होता –

TI आरके सोनी ने बताया कि मायके और ससुराल पक्ष को थाने बुलाकर पूछताछ की है। ससुरालवालों कहा कि हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार अलग-अगल होता है, इसीलिए ऐसा किया। अब हम इस मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं। इसके बाद ही FIR दर्ज करेंगे। स्वीपर पर भी केस किया जाएगा।

मां के शव से शिशु को अलग करने की ये मान्यताएं –

गर्भवती महिला की मौत होने से शिशु की भी मौत हो जाती है। ऐसे में महिला के गर्भ से शिशु को निकालकर दोनों का अलग-अलग अंतिम संस्कार किया जाता है। इसके पीछे कुछ धार्मिक मान्यताएं हैं। उज्जैन के पं. राजेश त्रिवेदी के मुताबिक, पुराणों और संहिताओं में जिक्र है कि माता और संतान का अलग-अलग अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। एक ही चिता पर दोनों का संस्कार नहीं होना चाहिए।

यह भी धार्मिक मान्यता है कि नवजात और छोटे बच्चों के शव को जलाया नहीं जाता है, उन्हें दफनाया जाता है। इसके पीछे कारण है उनका शरीर पूर्ण विकसित नहीं होता। जैसे पूरे दांत नहीं आते हैं और बाल कम होते हैं। एक चिता पर पति और पत्नी का अंतिम संस्कार कुछ मामलों में मान्य है, क्योंकि पति और पत्नी को धार्मिक मान्यताओं में एक ही शरीर के दो हिस्से माना जाता है।

कानून के जानकार बोले, ये डेड बॉडी का अपमान –

कानून के जानकार इस तरह डेड बॉडी से बच्चा निकालने को अवैध बता रहे हैं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के गवर्नमेंट एडवोकेट यश सोनी ने कहा कि महिला की मौत के बाद अगर उसके पेट से बच्चा निकाला गया है, तो यह डेड बॉडी का अपमान है। किसी व्यक्ति के पास यह अधिकार नहीं कि वह किसी मानव शव के साथ छेड़खानी कर सके। ये मानवाधिकार का हनन भी है।

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