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शिशु संरक्षण माह के अंतर्गत शिविर में की गई गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच

दुर्ग / बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में शिशु संरक्षण माह के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत विशेष सत्र में नियमित टीकाकरण के साथ ही बच्चों को विटामिन ‘ए‘ और आईएफए की सिरप पिलाई जा रही है।

वहीं गर्भवती महिलाओं की जांच व टीकाकरण किया जा रहा है तथा पोषण आहार की जानकारी दी जा रही है। इस दौरान डोर-टू-डोर सर्वे कर अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन भी किया जा रहा है। सर्वे में चिन्हित को एनआरसी रेफर किया जाएगा।

कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश पर 13 सितंबर से शुरू किए गए शिशु संरक्षण माह के अंतर्गत विकासखंड स्तर पर व्यापक टीकाकरण किया जा रहा है।

वहीं आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में बच्चों को विटामिन-ए सिरप और आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) की खुराक दी जा रही है। इसी क्रम में गयानगर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र में भी गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच एवं टीकाकरण के लिए शिविर लगाया गया।

इस दौरान बच्चों को विटामिन ‘ए’ तथा आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) सिरप पिलाई गई।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बताया कि शिशु संरक्षण माह के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रेरक गतिविधियां की जा रही हैं।

विशेषकर 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को प्रत्येक 6 माह में 1 बार विटामिन ‘ए’ सिरप तथा 6 माह से 5 वर्ष के बच्चों को प्रत्येक सप्ताह में 2 बार आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) सिरप पिलाई जा रही है।

शिशु संरक्षण माह को सफल बनाने हेतु व्यवस्थित कार्ययोजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। अधिक से अधिक बच्चों को इस अभियान में सम्मिलित करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं मितानिन को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि महिलाओं और बच्चों को स्वास्थ्यगत परेशानी होने से बचाया जा सके।

वहीं जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.दिव्या श्रीवास्तव ने बताया कि शिशु संरक्षण माह में जिले भर में बच्चों को विटामिन ‘ए‘ और आईएफए की सिरप पिलाई जा रही है। वहीं गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच व नियमित टीकाकरण किया जा रहा है तथा पोषण आहार की जानकारी दी जा रही है।

इस दौरान डोर-टू-डोर सर्वे कर अति गंभीर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन भी किया जा रहा है। सर्वे में चिन्हित बच्चों को समुचित पोषण के लिए एनआरसी रेफर किया जाएगा।

इसलिए जरूरी है विटामिन ए और आईएफए सिरप- विटामिन ए से भरपूर भोजन का नियमित सेवन हमारे शरीर के समुचित कार्य और विकास में मदद करता है जो हमारी त्वचा, आंखों और दांतों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।

विटामिन ए हड्डियों के विकास को बढ़ावा देता है। बीमारियों से लड़ता है और रोग प्रतिरोधक प्रणाली को भी मजबूत बनाता है। इसके अलावा यह शिशु को संक्रमण से लड़ने, नेत्रों की रोशनी को स्वस्थ रखने, और मजबूत दांत पाने में मदद करता है।

वहीं आईएफए शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सही रखता है। हिमोग्लोबिन के लिए शरीर में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी-12 की मात्रा ठीक होनी चाहिए।

अगर भोजन में इनमें से किसी भी तत्व की कमी हो तो शरीर में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और शरीर में पीलापन आ जाता है। इन सब कमी को दूर करने के लिए बच्चों को आईएफए दिया जाता है।

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