होम मिनिस्टर अमित शाह रविवार रात को मुंबई पहुंचे थे और अब वह दो दिवसीय के दौरे पर ऐक्टिव हो गए हैं। वह सुबह ही लाल बाग के राजा के दर्शन करने पहुंचे। उनके साथ डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी थे। इसके अलावा कई और नेता भी मौजूद रहे।
अमित शाह ने अपनी पत्नी और पोते के साथ गणपति बप्पा के दर्शन करेक आशीर्वाद लिया। यही नहीं इसके बाद वह बांद्रा वेस्ट में स्थित गणेश पंडाल भी पहुंचे, जो मुंबई भाजपा के चीफ आशीष शेलार के क्षेत्र में पड़ता है। आशीष शेलार की मुंबई में अच्छी पकड़ मानी जाती है और बीएमसी चुनाव में उनका अहम रोल माना जा रहा है।
अमित शाह के इस दौरे को बीएमसी चुनाव के लिहाज से अहम माना जा रहा है। उद्धव ठाकरे सरकार के गिरने और फिर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार के बनने के बाद अमित शाह का यह पहला मुंबई दौरा है। माना जा रहा है कि इस दौरान वह भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के नेताओं से मुलाकात कर बीएमसी चुनाव की चर्चा करेंगे।
अमित शाह ने जिस तरह मुंबई में गणेश पंडालों का दौरा किया है, उससे भी पता चलता है कि भाजपा बीएमसी चुनाव को लेकर कितना गंभीर है। बता दें कि बीएमसी में शिवसेना का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार भाजपा ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर जीत की प्लानिंग की है। यह देखना होगा कि शिवसेना के गढ़ में भाजपा कैसा प्रदर्शन कर पाती है।
भाजपा और एकनाथ गुट ने दिखाई एकता –
भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट के बीच फिलहाल एकता किस स्तर पर है। इसे इससे भी समझा जा सकता है कि शहर में कई जगहों पर शिंदे गुट के नेताओं ने बड़े बैनर और पोस्टर उनके स्वागत में लगा रखे थे। खासतौर पर मातोश्री के पास के इलाके बांद्रा ईस्ट में बड़ी संख्या में बैनर लगे दिखे हैं, जिन्हें लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है, ‘शिंदे गुट की ओर से शाह के स्वागत वाले बैनर रणनीति का हिस्सा हैं। यह एकनाथ शिंदे की ओर से अमित शाह के प्रति आभार प्रकट करने का तरीका है। इसके अलावा यह उद्धव ठाकरे गुट को आईना दिखाने की भी एक कोशिश है।’
पोस्टरों से एकनाथ ने उद्धव को दिया क्या संदेश –
भाजपा नेता ने कहा कि एकनाथ शिंदे कैंप ने अपनी पोस्टर रा जनीति से यह बताने की कोशिश की है कि भाजपा के साथ गठबंधन में सिर्फ एक ही व्यक्ति की नहीं चली है। बता दें कि फिलहाल एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच पार्टी पर दावे को लेकर जंग तेज है। चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट में दोनों गुटों की ओर से अर्जी दाखिल की गई है, जिस पर फैसला आना बाकी है।
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