छत्तीसगढ़भिलाई

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी की 15 वीं पुण्य स्मृति दिवस को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाया गया…

भिलाई / प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि जी की पुण्यतिथि को सेक्टर 7 स्तिथ पीस ऑडिटोरियम में उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन मे धारणा के लक्ष्य के साथ विश्व बन्धुत्व दिवस के रुप मे भिलाई दुर्ग सहित पूरे विश्व के सेवाकेन्द्रों में मनाई गई।

वरिष्ट राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने दादी जी की विशेषताओं को बताते हुए कहा की दादी जी की मुख्य धारणा निंम्मित,निर्माण और निर्मल वाणी थी | जिसके आधार पर आपने पुरे विश्व के सेवाकेंद्रो के अनगिनत मनुष्यआत्माओं को एक सूत्र में पिरोके नि:स्वार्थ आत्मिक स्नेह की पालना से चलाया।

यह संदेश दिया कि ऐसे ही नि:स्वार्थ प्यार व एकता की आज सारे संसार को बहुत आवश्यकता है। दादी जी एक ओजस्वी व्यक्तित्व की धनी वात्सल्य की प्रतिमूर्ति तथा लाॅ एवं लव का बैलेंस रखने वाली थी 1969 में ब्रह्माकुमारीज संस्था के संस्थापक आदिदेव प्रजापिता ब्रह्मा बाबा ने दादी जी के इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए।

संस्था की जिम्मेवारी दादी जी के हाथ में सौंपा तो दादी जी के जीवन का लक्ष्य रहा कि बाबा ने जो कार्य मुझे सौंपा है उसको मुझे अच्छी रीति से करना है और दादी जी ने इस कार्य को न सिर्फ भारत में ही बल्कि पूरे विश्व में मानव के कल्याणअर्थ किया|

दादी जी के सानिध्य में बहुत बड़े-बड़े कार्य संपन्न हुए और उन्हें अनेक सम्मान भी प्राप्त हुए परंतु दादी जी सदैव निरंहकारी रहे | आगे उन्होंने दादी जी के जीवन का प्रैक्टिकल उदाहरण बताते हुए कहा कि एक बार माउंट आबू में नागार्जुन फर्टिलाइजर के मैनेजिंग डायरेक्टर वी.के राजू आए थे।

तो वे इतने बड़े कार्य को देख दादी जी से पूछे कि आप इतनी बड़ी संस्था की हैड है | पर आपके चेहरे पर थोड़ी सी भी तनाव का चिन्ह नहीं दिखाई दे रहा है| दादी जी ने बड़े ही सहजता एवं सरल शब्दों में जवाब दिया कि इस संस्था का संचालक तो परमात्मा है वही करते हैं मैं स्वयं को हेड मानती ही नहीं हूं इसलिए मुझे कभी हैडेक नहीं होता है |

यहां कार्य करने वाले वर्कर नहीं है लेकिन यह सब सेवा धारी हैं और यह लोग भगवान के कार्यों को सेवा समझकर करते हैं इसलिए यह हर कार्य को जिम्मेवारी से करते हैं इसलिए यहां सब कार्य बहुत विधिवत और अच्छे से होता है|

दादी जी शक्ति स्वरूपा और प्रेम की प्रतिमूर्ति थी । उनका जीवन नियम मर्यादाओं से बंधा था इसलिए उनके सानिध्य में आने वाले सभी लोगों का जीवन भी नियम मर्यादाओं से बंध जाता था। दादीजी अपने नाम के अनुरूप समस्त विश्व मे आध्यात्मिक ज्ञान एवं राजयोग मेडिटेशन का प्रकाश फैलाया।

ज्ञात हो कि दादी प्रकाशमणि जी के पुण्यतिथि के अवसर पर संस्था के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू द्वारा कल्पतरुह प्रोजेक्ट के अंतर्गत पूरे भारत भर में 40 लाख से अधिक पौधों का वृक्षारोपण कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें सभी ने बढ़ चढ़ कर कल्पतरुह ऐप के थ्रू अपने लगाए पौधों को रजिस्टर्ड किया एवं इसकी पालना कर रहे हैं। सभी ने दादी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।

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