दुर्ग / आईआईटी भिलाई में सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी (सी.आई.एफ.) के द्वारा हाल ही में “एडवांस्ड मटेरिअल्स कैरेक्टराइजेशन टेक्नीक” पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य पाउडर एक्स-रे डिफ्रेक्शन (पी.एक्स.आर.डी.) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एस.ई.एम.) तकनीकों पर ध्यान केन्द्रित करना था।
इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रमुख वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों, युवा शोधकर्ताओं और पी.एच.डी. छात्रों को पी.एक्स.आर.डी. और एस.ई.एम. तकनीकों का उपयोग करके मटेरिअल्स कैरेक्टराइजेशन पर विचारों और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करना था।
कार्यशाला में सी. आई. एफ. में उपलब्ध सभी कैरेक्टराइजेशन सुविधाओं का अवलोकन, एस. ई. एम. और पी.एक्स.आर.डी. तकनीकों का परिचय और एक पोस्टर प्रस्तुति सब जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया। कार्यशाला के पहले दिन डॉ. ध्रुव प्रताप सिंह (संकाय प्रभारी, सी. आई. एफ.) ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और कार्यशाला का संक्षिप्त विवरण दिया।
उसके बाद, कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. जयेश चंद्र एस. पै., रजिस्ट्रार, आईआईटी भिलाई ने किया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रो. श्रीनिवासन नटराजन (एफ.ए.एस.सी., एफ.एन.ए.एस.सी., एफ.एन.ए., एफ.आर.एस.सी., रसायन विज्ञान विभाग, आई.आई.एस.सी. बैंगलोर), डॉ. सेषा वेमपाटी (सहायक प्राध्यापक, भौतिकी विभाग, आई.आई.टी. भिलाई), डॉ. रविकुमार अय्यम्पेरुमल ( अनुप्रयोग वैज्ञानिक, ब्रूकर, भारत और सत्य श्रीनिवासन (अनुप्रयोग वैज्ञानिक, कार्ल जीस, भारत)।
प्रो. श्रीनिवासन नटराजन की वार्ता ‘डिफ्रैक्शन-प्रिंसिपल एंड ऍप्लिकेशन्स’ पर थी, और डॉ. रविकुमार अय्यम्पेरुमल की वार्ता ‘द मेजरमेंट एंड एनालिसिस ऑफ पी.एक्स.आर.डी.’ पर थी। डॉ. सेषा वेमपाटी के द्वारा ‘माइक्रोस्कोपी: प्रिंसिपल्स एंड ऍप्लिकेशन्स’ पर एक वार्ता किया गया।
सत्य श्रीनिवासन द्वारा ‘द मेजरमेंट एंड एनालिसिस ऑफ एफ.ई.एस.ई.एम.’ शीर्षक पर भी एक वार्ता हुई। प्रतिभागियों को नमूना तैयार करने के तरीके और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। साथ ही, प्रतिभागियों के प्रश्नों के समाधान के लिए प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किए गए। समापन सत्र के दौरान आई.आई.टी. भिलाई के निर्देशक, प्रो. रजत मूना ने पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया।
प्रो. मना ने प्रतिभागियों को बधाई दी और कहा कि विभिन्न रूपों में ज्ञान का प्रसार हमेशा फायदेमंद होता है जैसा कि कार्यशाला में देखा गया है। यह विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों में उपकरण बेहतर परिणाम प्राप्त करने के हैं। कार्यक्रम का समापन डॉ. ध्रुव प्रताप सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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