नई दिल्ली : 21 जुलाई को देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिलने की संभावना रोजाना और पुख्ता होती जा रही है। तमाम विपक्षी पार्टियों ने बारी-बारी से विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की जगह द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का ऐलान किया है। मुर्मू को वोट देने की घोषणा करने वालों में सबसे ताजा विपक्षी दल का नाम है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जो यूपी में समाजवादी पार्टी की सहयोगी दल है।
इससे पहले शिवसेना की उद्धव ठाकरे गुट और झारखंड में सत्ताधारी जेएमएम ने भी इसी तरह का ऐलान करके यशवंत सिन्हा को निराश किया था। आइए जानते हैं कि अभी तक की स्थिति में जो समीकरण तैयार हुआ है, उसके बाद सिन्हा की इस चुनाव में कितने वोटों से हार की संभावना नजर आ रही है।
द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में रोज आगे आ रहे हैं विपक्षी दल
एनडीए की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने वाली पार्टियों की लाइन लगी है। भारतीय जनता पार्टी के सहयोगियों के अलावा लगभग हर दिन किसी न किसी विपक्षी पार्टी ने भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करके विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के लिए इस चुनाव को मात्र प्रतीकात्मक बना दिया है।
बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को लेकर तो राजनीतिक गलियारों में पहले से ही यह मान लिया गया था कि ये दोनों दल सत्ताधारी गठबंधन की उम्मीदवार की जीत का रास्ता तय करवाएंगे।
लेकिन, उसके बाद बसपा, तेलगू देशम पार्टी, जनता दल (सेक्यूलर) और शिरोमणि अकाली दल ने भी बारी-बारी से जीत के मुहाने पर खड़ीं देश की अनुसूचित जाति की पहली राष्ट्रपति प्रत्याशी को साथ देने का ऐलान किया है।
यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी से कई विपक्षी दलों ने भी मुंह फेरा
लेकिन, विपक्षी दलों के बीच भारी सियासी मंथन के बाद राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने गए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी को सबसे बड़ा राजनीतिक पलीता तब लगा, जब बैठक में समर्थन देने के बावजूद उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने गुलाटी मारी और पार्टी सांसदों के दबाव में द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करने की घोषणा कर दी।
इसके बाद यशवंत सिन्हा को उनके गृहराज्य झारखंड में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी झटका दे दिया। जबकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस और राजद जैसी पार्टियों के सहयोग से राज्य में सरकार चला रहे हैं। 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से तीन दिन पहले यशवंत सिन्हा से एक और विपक्षी पार्टी ने मुंह फेर लिया है।
यह है यूपी में समाजवादी पार्टी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के उत्तर प्रदेश विधानसभा में 6 एमएलए हैं। यूपी में एक एमएलए के वोट का वैल्यू 208 है, इस हिसाब से मुर्मू के समर्थन में 1,248 वोट और जुड़ गए हैं।
दो-तिहाई मतों की ओर बढ़ रही हैं द्रौपदी मुर्मू ?
शुक्रवार तक राष्ट्रपति चुनाव में मिलने वाले वोटों का जो सीन बन रहा है, उसके मुताबिक द्रौपदी मुर्मू लगभग दो-तिहाई वोटों की ओर कदम बढ़ा रही हैं और देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति मिलने का ऐलान अब मात्र चुनावी औपचारिकता लग रहा है। द्रौपदी मुर्मू ने जब राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया था, तबतक उन्हें लगभग 50 फीसदी या उससे थोड़ा ज्यादा वोट मिलने का अनुमान था। क्योंकि, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने अपना रुख शुरू में ही साफ करके उनकी जीत लगभग सुनिश्चित कर दी थी।
2.50 लाख से भी ज्यादा वोटों से हो सकती है यशवंत सिन्हा की हार
राष्ट्रपति चुनाव में वोटों के ताजा समीकरण के हिसाब से द्रौपदी मुर्मू को 61 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिलने का अनुमान है। इस तरह से उनके विरोध में चुनाव लड़ रहे यशवंत सिन्हा को मुश्किल से 39 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जबकि चुनाव में अभी तीन दिन और बचे ही हुए हैं।
इसबार राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचक मंडल में कुल वोटों की संख्या 10,86,431 है, जिनमें से 6.68 लाख से कहीं ज्यादा वोट द्रौपदी मुर्मू के खाते में जाने की संभावना है। इस तरह से यशवंत सिन्हा को 2.50 लाख से भी ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ सकता है।
यशवंत सिन्हा के साथ अबतक टिकी विपक्षी पार्टीयां कौन हैं ?
अभी तक यशवंत सिन्हा के समर्थन में जो विपक्षी पार्टियां डटकर खड़ी हैं, उनमें कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, डीएमके, मुस्लिम लीग, वामपंथी पार्टियां, नेशनल कांफ्रेंस, और पीडीपी शामिल हैं। वैसे टीएमसी नेता ममता बनर्जी भी मुर्मू का नाम सामने आने पर एक तरह से पछतावे का भाव जता चुकी हैं।
18 जुलाई को हो रहे राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम 21 जुलाई को घोषित होगा। अगर तय संभावनाओं के मुताबिक द्रौपदी मुर्मू यह चुनाव जीतती हैं, तो वो देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी होंगी, जिनका जन्म देश की आजादी के बाद हुआ है।
संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे