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यूक्रेन में ‘घर वापसी’ कर रहे लोग, लेकिन जेलेंस्की के सामने आई बड़ी चुनौती..

रूस और यूक्रेन के बीच चल महीने से ज्यादा समय से चल रहे युद्ध में यूक्रेन का लगभग 1.60 लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग प्रभावित हुआ है। यह यूक्रेन का करीब एक चौथाई भूभाग है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक रूस के हमलों के कारण बड़ी संख्या में नागरिकों ने पलायन करना शुरू कर दिया था लेकिन अब वे अपने देश में वापस आना चाहते हैं।

इसको लेकर यूक्रेन सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। जेलेंस्की सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। दरअसल, रूस और यूक्रेन युद्ध जारी रहने के बावजूद यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के साथ मिलकर यूक्रेन सरकार युद्ध में तबाह हुए

शहरों के पुनर्निर्माण के लिए काम कर रही है। लगभग 1.2 करोड़ लोग, जिन्होंने अन्य शहरों व विदेश की ओर रुख कर लिया था, उनमें से घर आने के इच्छुक लोगों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

55 लाख लोग अपने घर लौट आए

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक कीव में लगभग 55 लाख लोग अपने घर लौट आए हैं। आंकड़ों के अनुसार, युद्ध में 21 अप्रैल तक 177 बच्चों सहित कम से कम 2,345 नागरिक मारे गए थे, जबकि द वर्ल्ड नंबर्स की रिपोर्ट के अनुसार 22 जून तक युद्ध में 35 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

1800 इमारतें तबाह, 9 हजार करोड़ डॉलर का नुकसान

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार अभी तक रूस लगभग 1800 इमारतों को तबाह कर चुका है। होस्टोमेल शहर 50 फीसदी और बुका शहर 90 फीसदी तक नष्ट हो चुका है। हमलों के कारण इमारतों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान का आकलन 9 हजार करोड़ डॉलर यानी करीब 72 हजार करोड़ रुपऐ से अधिक है।

प्रदूषित क्षेत्रों में रह रहे लोग

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि यूक्रेन के 1.45 करोड़ लोग बमों, मिसाइलों आदि के कारण प्रदूषित हुए क्षेत्रों में रह रहे हैं। टीमों ने कीव के उत्तर में स्थित इरपिन शहर में करीब 410,000 टन मलबे का आकलन किया है, जिसे हटाने की जरूरत है। राज्य आपातकालीन सेवाएं (एसईएस) के प्रतिनिधि येवेन किरीचेंको का कहना है कि 80 नई डिमाइनिंग इकाइयां बनाई जा रही हैं,

लेकिन इन इकाइयों को उपकरणों से लैस करने में समस्याएं हैं। इसी कड़ी में ऐसी ही एक इकाई में कर्मचारियों के लिए कम से कम दो सुरक्षा उपकरण व सुरक्षात्मक कपड़े और डिमाइनिंग के लिए इंजीनियरिंग उपकरण होने चाहिए। मलबा हटाने के लिए विशेष इंजीनियरिंग उपकरणों की भी आवश्यकता पड़ रही है।

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