![2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मिशन मोड में भाजपा, बूथ मैनेजमैंट पर है सारा फोकस 1 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए मिशन मोड में भाजपा, बूथ मैनेजमैंट पर है सारा फोकस](https://jantakikalam.com/wp-content/uploads/2022/07/IMAGE-12.png)
लखनऊ. चुनाव दर चुनाव लगातार मिलती जीत से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है.
साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को भी जमीन पर उतर कर काम करने की नसीहत हर नेता दे रहे हैं. सबसे बड़ा राज्य होने की वजह से पार्टी का फोकस यूपी पर सबसे ज्यादा है.
यूपी से लोकसभा के 80 सांसद चुने जाते हैं. भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कोई भी चुनाव अच्छे बूथ मैनेजमेंट (Booth Management) से ही जीता जा सकता है.
इसीलिए मेरा बूथ, सबसे मजबूत का नारा देते हुए पार्टी ने यूपी में कमजोर बूथों को चिन्हित किया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रदेश में 1 लाख 75 हजार पोलिंग बूथ हैं
जिसमें पिछले लोकसभा चुनाव में 1 लाख 23 हजार बूथों पर भाजपा का कब्जा रहा था. इन बूथों पर करीब 51 प्रतिशत वोट, पार्टी के नेताओं को मिले थे. हालांकि उस वक्त सियासी समीकरण अलग थे,
क्योंकि बसपा और सपा ने पिछला लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ा था. इस बार परिस्थितयां बिल्कुल जुदा है.जहां एक तरफ विपक्ष अपनी आपसी लड़ाई में उलझा है वही भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है.
एक लंबी चौड़ी कार्यकर्ताओं की फौज भाजपा की बूथ जिताने की रणनीति पर काम करने के लिए जमीन पर उतर गई है तो वहीं विपक्ष के नेता एक दूसरे पर दोषारोपण में व्यस्त है.
भाजपा का पूरा फोकस बूथ मैनेजमेंट पर, अपने बूथ को मजबूत करने में लगे पार्टी नेता
भारतीय जनता पार्टी का पूरा फोकस उन 30-35 हजार बूथों पर है जहां पार्टी को विपक्ष से कांटे की टक्कर मिलती रही है. इन बूथों को मजबूत करने की रणनीति के तहत हर लोकसभा क्षेत्र में 250-300 बूथों को सेलक्ट किया गया है.
पार्टी के सांसद-विधायक सहित हर सीट पर करीब 80 लोगों की टीम बनाई गई है जो जनसम्पर्क से लेकर इलाके की हर गतिविधि पर नजर रखेगी और उसी के आधार पर पार्टी की आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
इन सभी बूथों पर किसी जाति विशेष या अन्य दल के नेताओं का वर्चस्व है जिस तिलिस्म को तोड़ने का बीड़ा भाजपा ने उठाया है. आजमगढ़ और रामपुर की जीत से भाजपा के कार्यकर्ताऔर नेता काफी उत्साहित हैं.
कमजोर बूथों पर सर्वे का काम भी शुरू
भाजपा ने यूपी में मिशन-80 के तहत उन कमजोर बूथों पर सर्वे का काम भी शुरू कर दिया है और सवालों की सूची भी तैयार की गई है. कमजोर बूथों पर सामाजिक समीकरण क्या है? किस किस नेता का वर्चस्व है?
भाजपा और विपक्ष के दमदार नेता कौन कौन से हैं जिनकी बात जनता सुनती और मानती है? अगर किसी व्यक्ति ने वोट नहीं किया है तो क्या वजहें रही थीं? भाजपा की उन सीटों पर हार के कारण क्या थे?
और विपक्ष किन वजहों से वहां से जीता? सरकारी योजनाओं के लाभार्थी कितने हैं ? इस तरह के तमाम सवालों की पूरी सूची भी तैयार की गई है. साथ ही बूथों को मजबूत करने के लिए युवा शक्ति पर भी ध्यान देने की बात की गई है.
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि एक बूथ पर कम से कम 20 ऐसे युवा चेहरों को जोड़ा जाए जिनके अंदर लोगों को साथ जोड़ने की कला हो.जिन 14 सीटों पर विपक्ष के मौजूदा सांसद हैं उनपर खासा फोकस है.
महिलाओं ने पिछले कुछ चुनावों में भाजपा के पक्ष में खुलकर बम्पर वोटिंग की है जिसके बाद पार्टी भी अब उन्हे अलग वोटबैंक की तरह ही सहेज कर रखने का काम कर रही है क्योंकि मिशन-80 इनके बिना सम्भव नहीं है.
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