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ऐसा है द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर: पहले पार्षद फिर विधायक… और अब राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार

18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल और ओडिशा से ताल्लुक रखने वाली आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है. द्रौपदी मुर्मू नामांकन दाखिल करने के लिए दिल्ली में ही मौजूद हैं.

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान होने के बाद कई राजनीतिक दलों ने एनडीए का समर्थन किया है. द्रौपदी मुर्मू का जीवन काफी संघर्षमय रहा है. गरीब परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने अभावों में खुद को आगे बढ़ाया.

जानिए द्रौपदी मुर्मू के जीवन संघर्ष की कहानी- संथाल समुदाय में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के तौर पर अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. फिर साल 2000 में पहली बार विधायक बनीं और मंत्री का पदभार संभाला.

द्रौपदी मुर्मू भाजपा-बीजेडी की सरकार में दो बार मंत्री रहीं. रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजद ने राज्य चुनाव से पूर्व भाजपा से नाता तोड़ लिया था.

साल 2015 से 2021 तक द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की राज्यपाल का भी कार्यभार संभाला. द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपना राजनीतिक कदम आगे बढ़ाया था. वह शुरू से भाजपा में ही रहीं.

ओडिशा के मयूरभंज जिले के गरीब आदिवासी परिवार में 20 जून, 1958 को जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आए अड़चनों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने भुवनेश्वर स्थित रमादेवी महिला कॉलेज से बीए की पढ़ाई पूरी की.

मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है.

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