USCIRF 2021 रिपोर्टः भारत ने अमेरिका को सुनाई खरी-खरी, कहा- आपसी संबंधों में न हो राजनीति
नई दिल्ली : भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग 2021 की रिपोर्ट पर अपना विरोध जताया है। भारत ने कहा है कि हमने 2021 की रिपोर्ट और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गलत जानकारी देने वाली टिप्पणियों पर गौर किया है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे आपसी संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। हम यह अपील करते हैं कि पक्षपातपूर्ण विचारों और जानबूझकर दिए गए गलत संदर्भों के आधार पर आकलन करने से बचा जाए।
राष्ट्रवादी एजेंडे को दिया बढ़ावा
USCIRF ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि साल 2021 में भारत में धार्मिक स्वंतत्रता की स्थिति बेहद प्रभावित हुई है। भारत सरकार ने जिस नीति के प्रचार और प्रवर्तन को बढ़ाया है,
उसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है। इससे भारत में रहने वाले मुसलमान, ईसाइय, सिख, दलित और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार ने अपनी हिन्दू राष्ट्र विचारधारा को सिस्टम में ढालने का प्रयास राष्ट्रीय और राज्यों के स्तर पर पुराने व नए कानूनों के जरिए किया, जो अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैं।
यूएससीआईआरएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2021 में जिन अन्य देशों को इसके लिए वर्गीकृत करने की सिफारिश की है उनमें बर्मा, इरीट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम शामिल हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी की टिप्पणी
इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर टिप्पणी की थी। USCIRF की रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और
कई धर्मों का घर माने जाने वाले भारत में लोगों और उनके धार्मिक स्थानों पर हमले की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके साथ ही ब्लिंकन ने पाकिस्तान का नाम लेते हुए
कहा कि साल 2021 में करीब 16 लोगों को ईशनिंदा कानून के तहत मृत्युदंड की सजा पाकिस्तानी अदालतों ने दी है। ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाया था।
भारत कर चुका है खारिज
यूएससीआरएफ ने पिछले साल भी अमेरिकी सरकार को इसी तरह की सिफारिश की थी जिसे बाइडन प्रशासन ने स्वीकार नहीं किया था। भारत यूएससीआईआरएफ की रिपोर्टों को पूर्व में भी खारिज कर चुका है।
बतादें कि 1998 में अमेरिकी सरकार द्वारा स्थापित, यूएससीआईआरएफ की सिफारिशें विदेश विभाग पर गैर-बाध्यकारी हैं। परंपरागत रूप से, भारत यूएससीआईआरएफ के दृष्टिकोण को मान्यता नहीं देता है।
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