Thaawarchand Gehlot कौन हैं ? उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार बनने की है चर्चा
नई दिल्ली / कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत पिछले हफ्ते राजधानी दिल्ली में थे। उन्होंने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई और बड़े नेताओं से मुलाकात की थी।
इससे पहले गहलोत जब भी अचानक पीएम मोदी से मिलते रहे हैं, उनके राजनीतिक करियर में कोई न कोई नया अध्याय जुड़ता गया है। अगले दो महीनों में देश में दो महत्वपूर्ण पदों के लिए चुनाव होने हैं।
अगले महीने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा हो रहा है और अगस्त में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि थावरचंद गहलोत को मोदी सरकार अपनी ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है।
पिछले हफ्ते पीएम मोदी से मिले थे थावरचंद गहलोत
पिछले शुक्रवार को कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। उसके अगले दिन ही वो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले।
आधिकारिक तौर पर इन मुलाकातों को ‘शिष्टाचार भेंट’ बताया गया, लेकिन इन मुलाकातों के बाद उनको उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा ने फिर जोर पकड़ ली है।
कुछ महीने पहले भी ऐसी अटकलें लग चुकी हैं कि भाजपा उन्हें एम वेंकैया नायडू की जगह उपराष्ट्रपति के प्रत्याशी के तौर पर खड़ा कर सकती है। इन सियासी अटकलों के पीछे, उनके पीएम से मुलाकात के बाद के कुछ खास संयोग हैं।
पीएम मोदी से जब भी मिले गहलोत की तरक्की हुई!
कहा जा रहा है कि वह एक बार इसी तरह से प्रधानमंत्री से मिले थे तो उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई थी। एक और बार में वह राज्यसभा में सदन के नेता बना दिए गए।
पीएम मोदी से एक बार उन्हें मुलाकात का मौका मिला तो वह गवर्नर बनकर कर्नाटक के राजभवन पहुंच गए। मतलब कि वह पीएम मोदी से मुलाकात के बाद खाली कभी नहीं लौटे हैं,
इसलिए उनकी यह मुलाकात भी उनके करियर को और विस्तार दे सकता है, इसकी पूरी संभावना बताई जा रही है। भाजपा सूत्रों का पहले भी कहना रहा है कि गहलोत उपराष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई,2022 में खत्म हो रहा है। जबकि, मौजूदा उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल भी एक महीने बाद यानी अगस्त 2022 में समाप्त हो रहा है।
कौन हैं थावरचंद गहलोत ?
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत भारतीय जनता पार्टी के एक प्रभावी दलित चेहरा रहे हैं। पिछले महीने ही वे 74 साल के हुए हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के रहने वाले गहलोत का भारतीय जनता पार्टी के साथ लंबा जुड़ाव रहा है।
वह पुराने शाजापुर लोकसभा सीट से लगातार चार बार यानी 1996, 1998, 1999 और 2004 में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह अनुसूचित जाति के बलाई समाज से आते हैं, जो परंपरागत तौर पर बुनकर होते हैं।
अगर इस नाते देखें तो बलाई समाज के लोग एमपी के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और दिल्ली में भी रहते हैं।
गहलोत दो बार राज्यसभा में भी बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और उन्हें पार्टी सदन का नेता भी बना चुकी है, जिस पद पर वो जुलाई 2021 तक रह चुके हैं।
उपराष्ट्रपति के लिए गहलोत क्यों हो सकते हैं पसंद ?
जुलाई 2021 में कर्नाटक के राज्यपाल बनने से पहले थावरचंद गहलोत नरेंद्र मोदी के दोनों कार्यकाल में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री रह चुके हैं।
अगर केंद्र की राजनीति से पहले की बात करें तो गहलोत पहली बार 1980 में मध्य प्रदेश की आलोट सीट से विधायक चुने गए थे। उसी सीट से एमएलए रहते हुए वे सुंदरलाल पटवा सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बने थे।
संसद में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य संख्या को देखते हुए अगर पार्टी उन्हें प्रत्याशी बनाती है, तो उनका उपराष्ट्रपति चुना जाना पूरी तरह से संभव है।
बीजेपी के लिए ऐसा करना 2024 के चुनाव से पहले देश भर के दलित और ओबीसी वोटरों के लिए एक सकारात्मक संदेश हो सकता है।
गहलोत को दूसरे दलों का भी मिल सकता है साथ
भाजपा के रणनीतिकारों का मानना रहा है कि दलित उम्मीदवार को उतारने के बाद दूसरे दलों के लिए भी उसका विरोध करना कठिन हो जाएगा। हालांकि, बीजेपी ने दलित नेता के तौर पर कोविंद को जब राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था
तो कांग्रेस ने भी मीरा कुमार को उतारकर दलित और महिला कार्ड चला था, लेकिन कोविंद 31% वोटों के अंतर से जीत गए थे। लेकिन, गहलोत की स्थिति थोड़ी अलग है। वह लगभग 41 वर्षों तक सक्रिय राजनीति कर चुके हैं।
उनका हर दल के नेताओं के साथ अपना निजी संपर्क भी है। उनकी निजी छवि भी सबको साथ लेकर चलने की रही है। लेकिन, सबसे बड़ा सवाल पीएम मोदी का 75 साल वाला फॉर्मूला है।
उस हिसाब से थावरचंद गहलोत के पास सिर्फ एक साल का समय और बाकी है, क्योंकि पिछले महीने ही वे 74 के हो चुके हैं।
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