देश

क्या जरूरी दवाइयों की कीमत कम होने वाली है? कल NPPA की बैठक में लिया जाएगा फैसला…

नई दिल्ली. देश में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आग लगी हुई है. हर चीज की कीमत आसमान छू रही है. डीजल और पेट्रोल के दाम 110 रुपये को भी पार कर गये हैं. इस कारण हर चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. लेकिन जरूरी दवाइयों के दाम बढ़ते हैं तो इससे जिंदगियां तबाह होती हैं. पिछले कुछ सालों में जरूरी दवाइयों की कीमतों में भी बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है,

इसके कारण गरीबों का इलाज मुश्किल हो गया है. अब इस बात को लेकर दवा की कीमतों पर नियंत्रण रखने वाली सरकारी संस्था नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी (NPPA) बड़ी दवा निर्माता कंपनियों के साथ शुक्रवार को बैठक करेगी. इस बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि क्या आवश्यक दवाइयों की कीमतों को घटाया जा सकता है.

ट्रेड मार्जिन को लेकर विचार विमर्श

बैठक में फार्मा कंपनियों की चिंता और उनकी सलाह पर विचार किया जाएगा. बैठक में गैर सूची वाली दवाइयों के ट्रेड मार्जिन पर भी विचार किया जाएगा. हालांकि गैर अनुसूचित दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण सरकार के अधीन नहीं है, लेकिन टीएमआर एक प्रणाली है जिसके तहत इन दवाइयों के मूल्यों का भी विनियमन किया जा सकता है.

दवा निर्माता का किसी दवा पर लगा मूल्य और ग्राहकों के लिए खुदरा मूल्य के बीच में जो अंतर रहता है, उसे ट्रेड मार्जिन कहा जाता है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अधीन एनपीपीए दवाइयों की उपलब्धतता सुनिश्चित करने के साथ-साथ दवाइयों की कीमतों का भी नियमन करता है. एनपीपीए की बैठक चेयरमैन कमलेश कुमार पंत की अध्यक्षता में की जाएगी.

2018 में एनपीपीए ने लगाया था कैप

डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज 18 को बताया कि हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि टीएमआर दवाओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने का सबसे संतुलित तरीका है, लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हम दवा निर्माताओं और सभी हितधारकों से सलाह मशविरा करना चाहते हैं.

हम उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेंगे. जब हम कीमतों को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे तो उनकी चिंताओं को भी उसमें शामिल करेंगे. 2018 में एनपीपीए ने गैर अनुसूचित एंटी कैंसर की 42 दवाओं के ट्रेड मार्जिन को सीमित कर दिया था.

यानी कैप लगा दिया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया था कि इस फैसले के कारण 526 ब्रांडेड दवाओं की एमआरपी 90 प्रतिशत तक कम हो गई थी.

संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे

http://jantakikalam.com

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button