आतंकवाद के खिलाफ आज भारत में अहम SCO शिखर सम्मेलन, पाकिस्तान और चीन भी मौजूद

नई दिल्ली / भारत आज आतंकवाद के खिलाफ अहम एससीओ शिखर सम्मेलन के अंतर्गत ‘रिजनल एंटी-टे रर स्ट्रक्चर’संवाद की मेजबानी कर रहा है, जिसमें जिसमें हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान भी पहुंचा है।
आपको बता दें कि, एससीओ शिखर सम्मेलन का पूरा नाम शंघाई शिखर सम्मेलन है और भारत, चीन, पाकिस्तान और रूस इसके सबसे अहम सदस्य हैं और ये शिखर सम्मेलन हर साल होता है, जिसमें आतंकवाद रोकथाम को लेकर बैठक की जाती है।
पाकिस्तान भी ले रहा है हिस्सा
एससीओ के सभी सदस्य देश बैठक में भाग ले रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान से तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शामिल हुआ है। पाकिस्तान का एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल शनिवार को वाघा बॉर्डर होते हुए भारत पहुंचा है।
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल 20 मई तक भारत में रहेगा। छले महीने, एससीओ सदस्य देशों के उप-विदेश मंत्रियों ने मास्को में बैठक किया था,
जहां उन्होंने अफगानिस्तान में जल्द से जल्द एक समावेशी सरकार के गठन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। एससीओ शिखर सम्मेलन उस वक्त हो रहा है,
जब पिछले साल अगस्त में तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद से अफगानिस्तान गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है
और तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान में आर्थिक अव्यवस्था और भोजन की कमी की स्थिति पैदा हो गई है, जिसने अफगानिस्तान को मानवीय संकट के दलदल में धकेल दिया है।
अफगानिस्तान पर पहले भी भारत में बैठक
आपको बता दें कि, अफगानिस्तान की स्थिति और तालिबान राज में आतंकवाद का प्रसार रोकने को लेकर पिछले साल नवंबर में भी भारत ने बैठक का आयोजन किया था,
जिसमें ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों/सचिवों ने भाग लिया था।
हालांकि, उस बैठक में चीन और पाकिस्तान शामिल नहीं हुआ था। उस बैठक के दौरान सभी देशों ने अफगानिस्तान में उभरती स्थिति, विशेष रूप से सुरक्षा स्थिति और इसके क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की थी।
सभी पक्षों ने अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिति और आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी से उत्पन्न खतरों के साथ-साथ मानवीय सहायता की आवश्यकता पर भी विशेष ध्यान दिया था।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन?
आपको बता दें कि, साल 1996 में शंघाई में एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें चीन के साथ साथ रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान ने नस्लीय हिंसा और धार्मिक तनावों से निपटने के लिए आपसी सहयोग पर राजी हुए थे
और उस वक्त इसे शंघाई-फाइव का नाम दिया गया था। असल मायनो में देखे थें, एससीओ का जन्म 15 जून 2001 को हुआ था और इसमें रूस भी शामिल हो गया था।
इसके साथ ही इसमें चरमपंथी ताकतों से निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने पर रणनीति बनाने पर सहयोग की बात कही गई। चीन ने एससीओ का काफी फायदा उठाया और अपनी सीमा पर तनाव और चरमपंथी ताकतों को हटाने में सिर्फ 3 साल में ही कामयाब हो गया।
भारत कब बना एससीओ का सदस्य?
भारत ने एससीओ का सदस्य बनने में काफी देर लगाई और 2017 में भारत एससीओ का पूर्णकालिक सदस्य बना। भारत के साथ साथ पाकिस्तान को भी साल 2017 में एससीओ के पूर्ण सदस्य देशों के तौर पर मान्यता दी गई
और इसके सदस्य देशों की संख्या बढ़कर आठ हो गई। वहीं, वर्तमान में एससीओ संगठन के आठ पूर्ण सदस्य और चार ऑब्जर्वर देश हैं।
ऑब्जर्वर देशों में ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं। इसके साथ ही इस ग्रुप के 6 डायलॉग सहयोगी हैं, जिनमें अर्मोनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की शामिल हैं। वहीं, एससीओ संगठन का मुख्यालय चीन की राजधानी बीजिंग में है।
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