छत्तीसगढ़दुर्ग

धरोहरों को बचाने का संकल्प, अब प्रदेश में पहली बार क्लीनिंग रोबोट का प्रयोग

दुर्ग / इंदिरा मार्केट स्थित कुँए में बरसों से कचरा डंप करने की वजह से पूरा कुँआ मृतप्राय हो गया था और वाटर रिचार्जिंग की संभावना समाप्तप्राय थी।

महापौर धीरज बाकलीवाल ने इसे पुनर्जीवित करने महापौर निधि से काम आरंभ कराने का निर्णय लिया। जब निगम की टीम यहां कुँआ साफ करने पहुंची तो गैस की आशंका महसूस हुई।

ऐसा लगा कि मैनुअल सफाई हुई तो जहरीली गैसों की वजह से किसी की जान जा सकती है। इसके पश्चात निर्णय लिया गया कि इसमें सेमी रोबोटिक मशीन के माध्यम से सफाई कराई जाएगी।

इस संबंध में जानकारी देते हुए महापौर धीरज बाकलीवाल ने कहा कि इंदिरा मार्केट से हमेशा गुजरते हुए इस कुँए की दुर्दशा को देखते हुए दुख होता था। ऐसा लगता था कि इस पर कार्य होना चाहिए।

हमारे परंपरागत जलस्रोत जो पूर्वजों ने तैयार किये हैं उसे नष्ट होने से बचाना चाहिए। महापौर ने बताया कि उन्हें इसकी प्रेरणा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लोकवाणी में प्रसारित कार्यक्रम से मिली

जिसमें उन्होंने प्रदेश के सभी नागरिकों , आधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से जल स्त्रोतों के पुनर्जीवन व संरक्षण हेतु अपील की थी जिसमे विशेष रुप से कुआँ, तालाब , बावडी, नहर , नदी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री जी ने यह भी कहा था भले ही विज्ञान ने बड़ी तरक्की कर ली पर आज भी हम कृत्रिम तरीके से जल बनाने मे असमर्थ है। हमारी जल की आवश्यकता प्रकृति व प्राकृतिक जल से ही सम्भव है।

इसके बाद विधायक अरुण वोरा की सलाह से नगर के कुँओं को ठीक करने की योजना बनाई। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में इस पर काम शुरू किया गया।

जब काम आरंभ हुआ तो जहरीली गैसों की वजह से ऐसा मैनुअली करा पाना मुमकिन नहीं हुआ। हमने यह काम छोड़ा नहीं, इसके बाद क्लीनिंग रोबोट लगाने का निर्णय लिया गया।

इसके बाद भिलाई से इस काम के लिए सन एंड साइल कंपनी के विशेषज्ञ आदित्य सराफ को बुलवाया गया। उन्होंने देखा कि कुँए में काफी गैस है इसलिए कुँए में क्लीनिंग रोबोट से साफसफाई करानी होगी।

साफसफाई हुई और अब यह कुँआ बिल्कुल स्वच्छ और रिचार्ज के लिए तैयार है। इसके पानी की क्वालिटी भी चेक की गई और यह बहुत अच्छी है। पानी का पीएच भी संतुलित है।

विधायक अरुण वोरा ने कहा कि वाटर रिचार्ज के कार्यों से नगर में भूमिगत जल का स्तर बढ़ेगा और जल को सहेजने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि शहर में वाटर रिचार्ज का काम प्राथमिकता का काम है ताकि भविष्य में भी किसी तरह का जलसंकट न हो।

कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने भी इस कार्य के लिए महापौर, उनकी परिषद और नगर निगम टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों में ऐसे कुँओं का चिन्हांकन कर इन्हें ठीक करने से शहरी क्षेत्र में भूमिगत जल के स्तर में अपेक्षित वृद्धि संभावित है।

निगम में चल रही वाटर रिचार्ज संबंधी गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए नगर निगम कमिश्नर हरेश मंडावी ने बताया कि शहर के भीतर के कुँओं को पुनर्जीवित करने के लिए दुर्ग निगम काम कर रहा हैं।

इस क्रम में इंदिरा मार्केट का कुँआ पहला है। अभी 15 कुँओं का चिन्हांकन किया गया है तथा 30 तालाबों का चिन्हांकन भी किया गया है जिसमें साफसफाई की जाएगी ताकि बेहतरीन वाटर रिचार्ज किया जा सके।

कुँओं के माध्यम से जल सहेजने का इतिहास प्राचीन, रायपुर के रींवा में भी मिले रिंग वेल- भारत में पहले शहर नदियों के किनारे बसते थे ताकि जलस्रोतों की किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।

ईसा की तीसरी सदी पूर्व जब मौर्य काल में बड़े पैमाने पर नगरों का विकास हुआ तो कुँओं की अधिक जरूरत महसूस हुई। इससे भारत में रिंग वेल कुँओं का विकास हुआ। अभी आरंग में रींवा में जो खुदाई चल रही है उसमें रिंग वेल प्राप्त हुए हैं। इस तरह छत्तीसगढ़ में भी उसी परंपरा को अपनाया गया।

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