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‘कृपया! हमें ज्ञान देने की कोशिश ना करें, हम जानते हैं हमें क्या करना है’, जानिए क्यों गुस्साया भारत?

यूक्रेन के मुद्दे पर भारत ने नीदरलैंड के राजदूत से दो टूत जवाब देते हुए कहा है, कि वो भारत को ज्ञान देने की कोशिश नहीं करें, क्योंकि भारत को पता है, कि उसे क्या करना है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि

टीएस तिरुमूर्ति ने ब्रिटेन में नीदरलैंड के राजदूत से कहा है कि, “कृपया, हमें संरक्षण न दें, नई दिल्ली जानती है कि क्या करना है”। आपको बता दें कि, ब्रिटेन में नीदरलैंड के राजदूत ने कहा था कि, भारत को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर वोटिंग के दौरान भारत को गैर-हाजिर नहीं रहना चाहिए था।

भारत पर निशाना क्यों?

आपको बता दें कि, 24 फरवरी को रूसी सेना ने यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसके तीन दिन बाद मास्को ने यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों, डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र राज्यों के रूप में मान्यता दे दी थी।

वहीं, इस साल जनवरी के बाद से भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में प्रक्रियात्मक वोटों और मसौदा प्रस्तावों पर वोट डालने से परहेज किया है,

जिनमें यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता की निंदा की गई थी। वहीं, भारत के लगातार वोटिंग से गैर- हाजिर रहने और अभी भी रूसी आक्रामकता की निंदा नहीं करने की वजह से अमेरिका और पश्चिमी देशों की तरफ से बार बार बयान आ रहे हैं और भारत पर भारी दवाब बनाने की कोशिश की जा रही है।

भारत ने दिया करारा जवाब भारत की यूक्रेन नीति पर नीदरलैंड ने सवाल उठाया था और कहा था, कि भारत को संयुक्त राष्ट्र महासभा की वोटिंग से गैर-हाजिर नहीं रहना चाहिए था।

जिसपर यूनाइटेड नेशंस में भारत के स्थायी दूत तिरूमूर्ति ने ब्रिटेन में तैनात नीदरलैंड के राजदूत वैन ओस्टरोम को करारा जवाब दिया और कहा कि, ‘कृपया हमें संरक्षण न दें, राजदूत। हम जानते हैं कि हमें क्या करना है,। ट्वीट में डच दूत ने तिरुमूर्ति से कहा, “आपको जीए में शामिल नहीं होना चाहिए था।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करें।” यूएन में भारत के स्थाई राजदूत तिरुमूर्ति ने बुधवार को यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में एक बयान दिया। उन्होंने ट्विटर पर अपने बयान का पूरा पाठ पोस्ट करते हुए

कहा कि, ‘आज दोपहर यूक्रेन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में मैंने निम्नलिखित बयान दिया’। जिस पर नीदरलैंड के राजदूत वैन ओस्टरोम ने महासभा में भारत से दूर रहने के बारे में टिप्पणी की थी।

यूक्रेन पर वोटिंग से गैर-हाजिर भारत आपको बता दें कि, पिछले महीने भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषध की लिस्ट से रूस को बाहर निकालने के लिए वोटिंग की जा रही थी, उस वक्त भी भारत वोटिंग की प्रक्रिया से गैरहाजिर रहा था।

हालांकि, रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं, मार्च में भी भारत ने यूक्रेन और उसके सहयोगियों द्वारा यूक्रेन में मानवीय संकट पर एक प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा से यह कहते हुए वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था,

कि दुश्मनी को खत्म होना चाहिए और यूक्रेन में तत्काल मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र में जो मसौदा पेश किया गया है, वो पूरी तरह से नई दिल्ली की उम्मीद को प्रतिबिंबित नहीं करता है।

इसके साथ ही, 2 मार्च को जब संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया गया था, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की थी, उस वोटिंग में भारत ने हिस्सा नहीं लिया था।

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