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बांग्लादेश से भारत को मिला ऐसा बड़ा ऑफर, जो चीन को दे रहा बहुत बड़ा झटका जाने क्या है वो ‘डेंजरस प्लान‘!

ढाका : बांग्लादेश ने भारत को एक ऐसा ऑफर दिया है, जो चीन के लिए छोटा-मोटा नहीं, बल्कि बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है। भारत की बंगाल की खाड़ी नीति पर लगातार सवाल उठते रहे हैं और भारत की किसी भी सरकार ने आजादी के बाद से ही बंगाल की खाड़ी पर ध्यान नहीं दिया.

और यही वजह है, कि बंगाल की खाड़ी में चीन ने काफी हद तक अपना वर्चस्व बना लिया है। लेकिन, अब ऐसा लग रहा है, कि बंगाल की खाड़ी को लेकर मोदी सरकार ने काम करना शुरू किया है।

बांग्लादेश का ऑफर क्या है? दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को बांग्लादेश के दौरे पर गये हैं, जहां उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाकात की है।

इस दौरान बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे असम और त्रिपुरा को अपने देश के मुख्य बंदरगाह, चटगांव बंदरगाह को लेकर भारत को बड़ा ऑफर दिया है।

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने कहा है कि, भारत चटगांव बंदरगाह का इस्तेमाल कर सकता है, जो बंगाल की खाड़ी में भारत की बड़ी कामयाबी है। बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को पीएम मोदी का संदेश दिया,

जिसमें उन्होंने शेख हसीना को भारत दौरे के लिए आमंत्रित किया है।
कनेक्टिविटी बढ़ाने पर हुई बात बैठक के दौरान बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को और बढ़ाने पर जोर दिया,

जिसकी जानकारी उनके प्रेस सचिव एहसानुल करीम ने पीटीआई को दी है। उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर से कहा कि, आपसी लाभ के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता है,

जबकि इससे बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी चटगांव बंदरगाह का उपयोग करने में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को विशेष रूप से लाभ होगा। उन्होंने कहा कि, ‘यदि संपर्क बढ़ाया जाता है,

तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, जैसे असम और त्रिपुरा- को चट्टोग्राम में बंदरगाह तक पहुंच प्राप्त हो सकती है’। आपको बता दें कि, चटगांव बंदरगाह बांग्लादेश का काफी प्रमुख बंदरगाह है और इस बंदरगाह के जरिए दोनों देशों के बीच के संबंध और भी ज्यादा मजबूत होंगे।

भारत के लिए क्यों अहम ऑफर? आपको बता दें कि, चटगांव बंदरगाह बंगाल की खाड़ी में स्थिति रणनीतिक तौर पर काफी अहम बंदरगाह है और पिछले कुछ सालों में चीन ने लगातार इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश की है,

जबकि भारत ने इस क्षेत्र में काफी कम ध्यान दिया, जबकि, आजादी से पहले बंगाल की खाड़ी पर पूरी तरह से भारत का वर्चस्व था। लेकिन, पिछले कई सालों से चीन ने बंगाल की खाड़ी में पनडुब्बियों को भेजना शुरू कर दिया है, जो भारत के लिए बड़ी चिंता की बात है।

बंगाल की खाड़ी में चीन इसके साथ ही चीन ने भारत और भूटान को छोड़कर सभी बिम्सटेक देशों में भारी निवेश कर रखा है, जिसमें बांग्लादेश भी शामिल है, लिहाजा चीन की प्लानिंग बंगाल की खाड़ी होते हुए हिंद महासागर तक पहुंचने की है,

जो भारत के लिए किसी भी लिहाज से सही नहीं है। लेकिन, देखा गया है, कि बंगाल की खाड़ी में चीन काफी आसानी से अपनी पहुंच बनाता रहा, लेकिन भारत की सरकारों ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

भारत को बढ़ाना होगा कनेक्टिविटी बंगाल की खाड़ी में अमेरिका की भी ज्यादा रूचि नहीं है, लिहाजा बंगाल की खाड़ी में भारत को खुद के भरोसे ही चीन को रोकना होगा

और बांग्लादेश की तरफ से चटगांव बंदरगाह का इस्तेमाल करने का ऑफर देना, इस बात के संकेत हैं, कि भारत की मौजूदा सरकार ने बंगाल की खाड़ी की तरफ गंभीरता से ध्यान दिया है

और पीएम मोदी ने बांग्लादेश नीति की तरफ भी ध्यान दिया है, लेकिन भारत अभी भी बांग्लादेश के साथ प्रमुख व्यापारिक समझौते नहीं कर पाई है, जबकि चीन लगातार बांग्लादेश के बाजार पर कब्जा करता जा रहा है।

लेकिन, चूंकी बंगाल की खाड़ी में आने वाले सालों में ‘कब्जे की लड़ाई’ शुरू होने वाली है, लिहाजा भारत को काफी गंभीरता से इस तरफ कदम बढ़ाने होंगे, तभी चीन को हिंद महासागर में रोका जा सकता है।

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