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UAE जाने वाले भारतीयों के लिए बड़ी खबर, बदल गए वीजा के नियम…

दुबई. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जाकर काम करने और रहने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए एक बड़ी खबर है. वीजा सुधारों को लेकर सबसे बड़ा कदम उठाते हुए UAE ने देश में एंट्री और निवास के लिए नई योजना पेश की है.

इसके तहत 10 प्रकार के एंट्री वीजा (UAE Entry Visa) जारी किए जाएंगे जो काफी सरल तरीके से उपलब्ध होंगे. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नए वीजा के लिए किसी भी होस्ट या प्रायोजक की जरूरत नहीं होगी. इसके साथ ही इनके एंट्री पर कोई लिमिट नहीं होगी.

विजिटर के तौर पर अब देश में 60 दिन रुका जा सकता है, जो पहले सिर्फ 30 दिन था. नए नियमों के मुताबिक गोल्डन रेजिडेंस धारक अपने पति-पत्नी, बच्चों समेत परिवार के अन्य सदस्यों को स्पॉन्सर कर सकते हैं. इसके साथ ही वह घरेलू कामगारों को भी होस्ट कर सकते हैं.

वीजा के लिए ये हैं नए नियम:-

-रिपोर्ट में कहा गया है कि माता-पिता अपने पुरुष बच्चों को 25 साल की उम्र तक स्पॉन्सर कर सकते हैं, जो पहले 18 साल ही था.
-बयान में आगे कहा गया कि ये नए नियम दुनिया भर से बेहतरीन टैलेंट को आकर्षित करेंगे.
-प्रोफेशनल कामगारों के पास वीजा के लिए एक वैध रोजगार कॉन्ट्रैक्ट होना चाहिए.
-एजुकेशन कम से स्नातक होनी चाहिए और मासिक सैलरी 8,100 डॉलर से कम न हो.
-संस्कृति, कला, खेल, डिजिटल टेक्नोलॉजी, आविष्कार के क्षेत्रों वाले लोगों को भी आसानी से वीजा मिल सकेगा.
-इसके लिए नौकरी, सैलरी या क्वालीफिकेशन की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, आपको सरकारी सिफारिश की जरूरत पडे़गी.

रियल एस्टेट इनवेस्टर पा सकेंगे गोल्डन रेजिडेंस

रिपोर्ट के मुताबिक दो मिलियन डॉलर की संपत्ति खरीदने पर रियल एस्टेट इनवेस्टर संपत्ति खरीदने के दौरान गोल्डन रेजिडेंस पा सकेंगे. नए नियमों के मुताबिक निवेशक अगर स्थानीय बैंकों से कर्ज लेकर संपत्ति खरीदते हैं तो वह लंबे समय के लिए वीजा पा सकते हैं.

स्टार्ट अप्स के लिए भी है मौका

UAE में आकर बिजनेस के मौके खोजने वालों को भी बिना किसी होस्ट के वीजा मिलेगा, ताकि लोग वहां जाकर मौकों का सही इस्तेमाल कर सकें. इसके अलावा वैज्ञानिक और रिसर्चर्स को भी आसानी से वीजा मिलेगा.

UAE ने शुरू किया था ग्रीन वीजा

इससे पहले यूएई ने ग्रीन वीजा कार्यक्रम शुरू किया था, ताकि लोग बिना कंपनी के स्पॉन्सरशिप के देश में रह सकें और नौकरी कर सकें. यह पिछले सिस्टम से एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि पहले सिर्फ एक बड़े निवेश के बाद कुछ गिने-चुने लोगों को ही लॉन्ग टर्म निवास परमिट दिया जाता था.

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