जुर्मदेश

‘रेपिस्ट’ महंत के कुकर्म की कहानियां: 120 बीघा जमीन के लिए साथी साधु पर गोंडा में चलवाई थी गोलियां, षड्यंत्र खुला तो पहुंचा जेल, छूटते ही रीवा पहुंचा

रीवा सर्किट हाउस रेप कांड का मुख्य आरोपी महंत सीताराम दास उर्फ समर्थ त्रिपाठी। साधु के चोले में समाज को धोखा देने वाले इस अपराधी के कुकर्मों की कहानियां अब खुल रही हैं। जानिए…कैसे एक 12वीं फेल सनकी युवक महंत बना, साधु का चोला ओढ़कर सत्ताधारी नेताओं और पुलिस-प्रशासन के बड़े-बड़े अधिकारियों से संबंध बनाता गया,

फिर इन संबंधों की आड़ में जुर्म की दुनिया में उसने कदम रख दिया। महंत सीताराम दास, जिसका असली नाम है- समर्थ त्रिपाठी। मूल रूप से रीवा के गुढ़ गांव का रहने वाला समर्थ किशोर अवस्था से ही झगड़ालू था। उसके पिता सच्चिदानंद त्रिपाठी भोपाल में सिक्योरिटी गार्ड हैं, जबकि उसकी मां टिफिन सेंटर चलाती है।

जब रेपिस्ट महंत के बारे में पड़ताल की तो सामने आया कि वह गुढ़ में ही गणेश उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से पढ़ा हुआ है। वह 12वीं में फेल हो गया था। गांव में उसके झगड़े होने लगे। इसके चलते माता-पिता ने जैसे-तैसे उसे भोपाल में 10वीं कक्षा के नंबरों के आधार पर पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया।

यहां भी उसका पढ़ाई में मन नहीं लगा। उसे उसके माता-पिता भाजपा के पूर्व सांसद और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामविलास वेदांती के पास ले गए, जो उसके दादा लगते हैं। हालांकि रामविलास वेदांती ने उसे दीक्षा देने और आश्रम में रहने की बात को खारिज किया है। महंत सीताराम दास को जानने वाले बताते हैं, उसे गोंडा में तिर्रेमनोरमा स्थित रामजानकी मंदिर का महंत बना दिया गया।

यह दिन था 7 सितंबर 2020 का। इस दिन उसे महंत बनाया गया। महंत बनने के बाद से ही उसकी निगाह ट्रस्ट की 120 बीघा जमीन पर आ गई। उसने साथी साधु सम्राटदास के साथ मिलकर षड़यंत्र रचा। जमीन को लेकर गोंडा के ही अमर सिंह से विवाद चल रहा था। इसके चलते सीताराम दास ने एक प्रोफेशनल शूटर हायर किया।

उसे पैसे दिए और महंत बनने के करीब एक महीने बाद ही साधु सम्राटदास पर गोलियां चलवा दी। इस साजिश में खुद सम्राटदास शामिल था, शूटर को उस जगह गोली मारने के लिए कहा गया, जिससे सम्राटदास की मौत न हो।

सम्राटदास को गोली लगी, आरोप अमर सिंह पर डाला गया। लेकिन पुलिस ने महज एक सप्ताह में पूरा षड्यंष खोल दिया, इसके बाद महंत सीताराम दास और उसके रीवा के साथी पकड़े गए। वह जेल गया। वहां वह बदनाम हो चुका था, इसके चलते वह रीवा आ गया। यहां उसने उन लोगों के साथ मिलकर अपना प्रचार शुरू किया,

जो बड़े नेता, अफसरों के करीबी थी। इसमें से अधिकांश अपराधी थे, जो अब समाज सेवियों का चोला ओढ़े हुए थे। इसी बीच उसने रीवा सर्किट हाउस में किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। सीताराम दास के बारे में यह भी बताते हैं कि रीवा में भी उसने बाइक चलाते समय किसी को टक्कर मारी थी।

अय्याशी… लड़कियों से संबंध, शराब, सिगरेट और गांजा का शौकीन

पुलिस भी अब हर एंगल से पड़ताल कर रही है। सीताराम दास के बारे में पुलिस को पता लगा है, उसका गोंडा में एक युवती से प्रेम प्रसंग था। जब यह मामला खुला तो खूब हंगामा हुआ, लेकिन मामला दब गया। सीताराम दास शराब और गांजे की सिगरेट का शौकीन था। यह सब उसे उसके करीबी उपलब्ध कराते थे।

रामविलास वेदांती बोले- वह मेरा शिष्य नहीं रहा

भाजपा के पूर्व सांसद और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे रामविलास वेदांती ने से चर्चा करते हुए कहा- मैंने जब से घर छोड़ा, उसके बाद से सिर्फ दो बार गांव गया हूं। समर्थ त्रिपाठी मेरा कभी शिष्य नहीं रहा, न ही मुझसे दीक्षा ली।

मेरे आश्रम कभी नहीं आया। वह मेरे नाम का दुरुपयोग कर रहा था, लोगों से वसूली कर रहा था। उन्होंने कहा कि 1 अप्रैल से रीवा में उनकी कथा होने वाली थी, उन्हें नहीं पता समर्थ त्रिपाठी कब उनके नाम से अपना नाम जोड़कर प्रचार करने लगा।

रामविलास वेदांती के उत्तराधिकारी डॉ.राघवेश वेदांती ने से चर्चा करते हुए कहा कि कई बार यह शिकायत मिली कि समर्थ त्रिपाठी गुरूजी के नाम का दुरुपयोग कर रहा है। वह उनके नाम से बड़े लोगों से मिलता था। कथा के प्रचार को लेकर भी उसे कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी।

गोंडा में जिस मंदिर का महंत वह खुद को बताता है, उसकी भी जिम्मेदारी उसे नहीं दी गई थी। उस पर UP और रीवा में आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं। उसने एक संत पर गोली भी चलवाई थी, क्योंकि उसे सुरक्षा चाहिए थी। इसका खुलासा होने पर वह कुछ दिन गोंडा जेल में भी बंद रहा। समर्थ त्रिपाठी वेदांती जी के भतीजे का बेटा है, लेकिन उसने वेदांती जी से दीक्षा नहीं ली।

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