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5 साल नहीं सिर्फ इतने दिन नौकरी कर लेंगे तो ग्रेच्‍युटी के होंगे हकदार, नहीं दी तो Employer को होगी जेल

नई दिल्‍ली. आम बोलचाल में यही प्रचलित है कि ग्रेच्‍युटी कंपनियां तभी देती हैं, जब आप एक ही जगह 5 साल या उससे ज्‍यादा समय तक काम करते हों, लेकिन कानून ऐसा नहीं कहता. कानून के मुताबिक, अगर आपने एक ही संस्‍थान में 4 साल 240 दिन लगातार काम कर लिया है तो आप ग्रेच्‍युटी के हकदार हो जाएंगे.

टैक्‍स और निवेश मामलों के जानकार बलवंत जैन ने बताया कि नौकरीपेशा आदमी को एक ही कंपनी में कई साल काम करने के बाद बतौर गिफ्ट ग्रेच्‍युटी के रूप में नकद राशि दी जाती है. ग्रेच्‍युटी कानून 1972 के मुताबिक, अगर कोई नौकरीपेशा व्‍यक्ति एक ही कंपनी में 4 साल 240 दिन या उससे अधिक काम करता है तो उसे 5 साल माना जाएगा और वह व्‍यक्ति ग्रेच्‍युटी का हकदार होगा.

खान या अंडरग्राउंड काम करने वालों को और सहूलियत

जैन ने कहा, कोयला या अन्‍य माइंस में अथवा अंडरग्राउंड प्रोजेक्‍ट में काम करने वालों के लिए 4 साल 190 दिन पूरे करने पर ही 5 साल का कार्यकाल मान लिया जाता है. कानून के मुताबिक, भूमि से नीचे काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों को 4 साल 190 दिन पर ही ग्रेच्‍युटी का हकदार माना जाएगा.

अनहोनी पर समयसीमा लागू नहीं

अगर किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मौत हो जाती है तो उसकी ग्रेच्‍युटी की गणना के लिए अवधि का कोई दायरा नहीं रहेगा. इसका मतलब है कि ऐसे कर्मचारी ने अपनी सेवाकाल में कितना ही दिन गुजारा हो वह ग्रेच्‍युटी पाने का पूरा हकदार माना जाएगा.

नियोक्‍ता ग्रेच्‍युटी से इनकार करे तो…

कई ऐसे मामले भी सामने आए जब कर्मचारी के 4 साल 9 महीने या 10 महीने या 5 साल पूरे नहीं करने पर नियोक्‍ता ने ग्रेच्‍युटी का लाभ देने से इनकार कर दिया. ऐसा दरअसल उस भ्रांति की वजह से है, जिसमें ग्रेच्‍युटी की अवधि पांच साल बताई जाती है.

ऐसे में अगर कोई कर्मचारी तय कानून 4 साल 240 दिन से ज्‍यादा, लेकिन 5 साल से कम की नौकरी करता है तो कंपनियां इस भ्रांति का फायदा उठाकर ग्रेच्‍युटी देने से इनकार कर देती हैं.

ऐसा होने पर आपको स्‍थानीय लेबर कमिश्‍नर या लेबर कोर्ट में अपील करनी चाहिए. इस मामले में कार्मिक मंत्रालय के भी स्‍पष्‍ट नियम हैं कि 4 साल 240 दिन पूरे करने वाला व्‍यक्ति ग्रेच्‍युटी के सभी लाभ का हकदार हो जाता है.

ग्रेच्‍युटी के रूप में मिलने वाली 20 लाख रुपये तक की रकम टैक्‍स फ्री होती है. यह उन्‍हीं संस्‍थानों के कर्मचारियों पर लागू होता है, जहां कम से कम 12 महीने से 10 या ज्‍यादा लोग काम करते हों.

नियोक्‍ता को हो सकती है जेल

ग्रेच्‍युटी एक्‍ट 1972 के मुताबिक, अगर कोई नियोक्‍ता कानून का गलत इस्‍तेमाल कर पात्र व्‍यक्ति को भी ग्रेच्‍युटी देने से इनकार करता है, उसे 6 महीने से 2 साल तक की जेल हो सकती है.

इसके अलावा 10 से 20 हजार रुपये तक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. अगर किसी कर्मचारी ने गलत तरीके से ग्रेच्‍युटी हासिल की है तो उसे 3 महीने से एक साल तक की जेल हो सकती है.

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