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शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से 77 हजार करोड़ के आईपीओ टले

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। इसको देखते हुए घरेलू कंपनियों ने 77 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने की आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) की योजनाओं को टाल दिया है।

प्राइम डाटाबेस के डाटा के अनुसार, 51 कंपनियों ने रेगुलेटरी मंजूरी मिलने के बाद आईपीओ के जरिए 77 हजार करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन युद्ध के बाद बने हालातों को देखते हुए कंपनियों को अपनी योजना टालनी पड़ी है। इसमें 44 ऐसी कंपनियां शामिल नहीं हैं, जिन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपने आईपीओ के लिए दस्तावेज जमा कर दिए हैं, लेकिन मंजूरी नहीं मिली है।

जानकारों का कहना है कि आईपीओ परिदृश्य का यह खालीपन अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत तक जारी रह सकता है। इसका कारण यह है कि रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन अपनी योजना किसी भी कीमत पर पूरा करते दिख रहे हैं।

7429 करोड़ रुपये जुटाए तीन कंपनियों ने: इस साल तीन कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 7429 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इन कंपनियों में अडानी विल्मर, वेदांत फैशंस और एजीएस ट्रांजेक्ट शामिल हैं।

2013 में भी ऐसे ही थे हालात

आईपीओ को लेकर 2013 में भी ऐसे ही हालात थे। तब सेबी की मंजूरी मिलने के बावजूद कंपनियों ने करीब 80 हजार करोड़ रुपये के आईपीओ रोक दिए थे।

ये बड़ी कंपनियां कतार में

इस साल आईपीओ की कतार में गो एयरलाइंस (इंडिया) लिमिटेड, एपीआई होल्डिंग्स (फार्मईजी की पैरेंट कंपनी) देल्हीवेरी, एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, जैमिनी एडिबल्स एंड फेट्स इंडिया लिमिटेड और पन्ना सीमेंट शामिल हैं। यह कंपनियां 25 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं।

1.1 लाख करोड़ जुटाए थे पिछले साल

आईपीओ के लिहाज से 2021 बेहतर साल साबित हुआ था। पिछले साल करीब 50 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

प्राइम डाटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया कहते हैं कि ऐतिहासिक तौर पर जब द्वितीयक बाजार में उत्साह होता है तब प्राथमिक बाजार में सक्रियता रहती है। अक्टूबर से बाजारों में लगातार गिरावट हो रही है। पिछले दो महीनों में भारी-उतार चढ़ाव रहा है। यही कारण है कि 2022 में अब तक केवल तीन आईपीओ लिस्ट हो पाए हैं।

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