छत्तीसगढ़दुर्ग

हैचरी यूनिटों की बन रही श्रृंखला से ग्रामीण महिलाएं भी बन रही उद्यमी

-बड़े पोल्ट्री फार्म जैसा तंत्र विकसित हुआ हमारे गौठान में भी

दुर्ग / जिला पंचायत दुर्ग ने हैचरी यूनिट के माध्यम से एक नए अध्याय की शुरुआत की है। जिले के तीनों विकासखंड में गौठान को चिन्हित कर कुकुट पालन के साथ हैचरी यूनिट की शुरुआत भी की गई है। जिसके लिए दुर्ग विकासखंड में थनौद, पाटन में  गाड़ाडीह व धमधा में बोरी में हैचरी यूनिट की स्थापना की गई है।

हैचरी यूनिट के माध्यम से एक पारिस्थितिक तंत्र  स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें अंडे से चूजें तो निकलेंगे ही और भविष्य में एक ऐसे चक्र का निर्माण किया जाएगा जिसमें मुर्गियों से अंडे प्राप्त कर एक पूर्ण चक्र निर्मित किया जा सके, जैसा कि बड़े-बड़े पॉल्ट्री प्लेटफार्मों में किया जाता है।

जिले में विभाग द्वारा गौठान में जों विभिन्न नवाचार अपनाये जा रहें हैं और जिस पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण किया जा रहा है , निःसंदेह इससे गौठान में कार्य करने वाली महिलाओं और स्व सहायता समूह की तस्वीर और तकदीर दोनों में बदलाव आएगा।दुर्ग जिला पंचायत ने शासन की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना को एक नई दिशा दी है।

जिला पंचायत अपने प्रयोगों से लगातार साबित कर रहा है कि वह योजनाओं के साथ नवाचार का समावेश करने में राज्य में सबसे आगे है। पहले ही प्रयास में 75 प्रतिषत सफलता-  ग्राम थनौद के गौठान में स्थापित हैचरी यूनिट जो कि संभवता देश का पहला गौठान में स्थापित हैचरी यूनिट है।

इसमें कार्य करने वाली अमर महिला स्व सहायता समूह ने 21 दिन के चक्र में  300 अंडे में से 225 चूजे उत्पादित कर 75 प्रतिषत सफलता हासिल की है। जो कि बहुत अच्छा परिणाम है। उद्यमी के रूप में स्थापित होती स्व सहायता समूह की महिलाएं – यह छत्तीसगढ़ शासन की योजना की देन ही है कि आज गौठानों में कार्य करने वाली महिलाएं उद्यमी के रूप में अपने जीवन के इस अध्याय को गढ़ पा रही हैं।

ग्राम थनोद गौठान कि अमर स्व सहायता समूह की महिलाएं, ग्राम गाड़ाडीह से जय मां चंडी महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं और ग्राम बोरी से राधे स्व सहायता समूह की महिलाएं उन चुनिंदा महिलाओं में से एक हैं जो गांव में अपने घर के दहलीज से और खेत से बाहर कदम रख, सफल उद्यमी के रूप में अपने आप को स्थापित करने के लिए तैयार हैं।

महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं साझा करती अपना अनुभव – तीनों स्व सहायता समूह  थनौद से अमर महिला स्व सहायता समूह, गाड़ाडीह से जय मां चंडी महिला स्व सहायता समूह और बोरी से राधे स्व सहायता समूह की महिलाओं ने हैचरी यूनिट पर अपना अनुभव साझा किया।

थनौद से अमर महिला स्व सहायता समूह की पूर्णिमा धनकर बताती हैं कि थनौद गौठान में  29 जनवरी  कार्य का शुभारंभ किया गया जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त करना उनके लिए सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उन्होंने बताया कि 18वें दिन में ही अंडे से चुजें निकलने की शुरुआत हो गई।

यह क्षण उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। वहीं गाड़ाडीह से जय मां चंडी महिला स्व सहायता समूह की आइशा कुरैशी ने अपने प्रशिक्षण का अनुभव के बारे में बताया जिसमें  ऑटोमेटिक इनक्यूबेटर मशीन का प्रयोग करना उन्हें अपने बचपन की याद दिलाता है उन्हें लगता है जैसे वह किसी खिलौने के साथ खेल रही हैं।

इसी कड़ी में बोरी से राधे महिला स्व सहायता समूह से यशोदा देवांगन बताती हैं अंडे की सिकाई इनक्यूबेटर के माध्यम से इस प्रकार से हो सकती है उन्होंने कभी नहीं सोचा था। अंडे से चूजे बनने का यह 21 दिन का सफ़र सभी स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए प्रतिदिन एक अलग ही अनुभव दे रहा है जो किया अतुल्नीय है।

पशु विभाग के सानिध्य में दिया गया विशेष प्रशिक्षण – गौठानों में कार्य कर रही महिला स्व सहायता समूह का क्योंकि यह पहला अनुभव था  इसलिए जिला पंचायत ने महिलाओं के लिए  व्यवहारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की थी।समूह की महिलाओं को पशु विभाग के सानिध्य में प्रैक्टिकल अप्रोच के साथ प्रशिक्षण दिया गया।

इसमें मोहित काम्बले सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के अधीन समूह की महिलाओं को  21 दिन का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इस ट्रेनिंग के अंतर्गत 21 दिन में अंडों से चूजों के निर्माण की विधि महिलाओं को क्रमवार अवगत कराई गई। मोहित काम्बले ने महिलाओं को ऑटोमेटिक इनक्यूबेटर मशीन के उपयोग ,तापमान व आद्रता से संबंधित प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जिससे कि महिलाएं आगे चलकर सभी कार्य स्वयं कर सके।

मोहित काम्बले हैचरी यूनिट से संबंधित और भी जानकारियां दी जिसमें उन्होंने बताया कि ऑटोमेटिक इनक्यूबेटर मशीन के लिए विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब दिल्ली आंध्र प्रदेश से कोटेशन मंगाया गया था परंतु वहां से मशीन बहुत ज्यादा कीमत पर प्राप्त हो रही थी परंतु आश्चर्य की बात यह थी कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से उन्हें उसी गुणवत्ता की मशीन कम कीमत पर प्राप्त हो रही थी।

जिसका मेंटेनेंस भी ना के बराबर है क्योंकि यह नवाचार छत्तीसगढ़ का था और कोरबा का कोटेशन की सबसे कम था इसलिए उसे प्राथमिकता दी गई। इस प्रकार यदि हम प्रोजेक्ट पर नजर डालें तो यह प्रोजेक्ट राज्य की ही देन है।उन्होंने स्व सहायता समूह की महिलाओं के सीखने की ललक की तारीफ भी की।

तीनों गौठानों में हैचरी यूनिट की वर्तमान स्थिति- वर्तमान में तीनों गौठानों में हैचरी यूनिट का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। थनौद के बाद गाड़ाडीह और बोरी में भी एक हजार अंडो के साथ यूनिट प्रारंभ किया गया है।थनौद में भी 300 अंडों से 75 प्रतिशत की सफलता से प्रेरित होकर वहां भी 700 और अंडों और अंडों को  चूजों के उत्पादन के लिए बढ़ाया गया है।

निकट भविष्य में इनकी क्षमताओं में और विस्तार भी किया जाएगा। जिला पंचायत के सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि हैचरी यूनिट की सोच राज्य शासन की योजना की ही उपज है,गौठानों में किए जा रहे हैं नवाचारों के पहल से ही यह संभव हो पाया है।

उन्होंने आगे बताया कि कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में गौठान में संचालित की जाने वाली इस नवाचार के लिए पोल्ट्री फॉर्म की तर्ज पर अन्य व्यवस्थाएं भी की जाएंगी और शीघ्र ही जिले के बाहर समूह की महिलाओं को मार्केट भी उपलब्ध कराया जाएगा।

निकट भविष्य में आप देखेंगे कि यहां से चूजों और अंडों का प्रोडक्शन कर अन्य पोल्ट्री फॉर्म के लिए भी चूजें और अंडे उपलब्ध कराए जाएंगें। छत्तीसगढ़ शासन की योजना ने ग्रामीण परिवेश में एक ऐसा बदलाव लाया है जो अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है।

राज्य शासन की योजनाएं विकास की गाथा गढ़ने में लगी हुई है।इन योजनाओं से आज गौठान पशुओं के लिए आश्रय बना हुआ है।यहां रसायन रहित वर्मी कंपोस्ट खाद बनाया जा रहा है। मछली पालन व कुकुट पालन किया जा रहा है। महिलाओं को स्व सहायता समूह के माध्यम से रोजगार देकर अपने पांव पर खड़ा किया जा रहा है।

हैचरी यूनिट के माध्यम से एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र तैयार किया जा रहा है जोकि उद्यम की नई परिभाषा गढ़ रहा है।ऐसे में कौन कहेगा कि शासन की योजनाएं मूर्त रूप नहीं लेती यह शासन की योजना ही है जिसने अपने आपको अंगद की पैर की तरह स्थापित कर लिया है।

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