-जलजीवन मिशन के कनेक्शन में नहीं काम कर पाएगा टूल्लू पंप, स्वच्छता गड्ढे बनाएं तो बेहतर होगा भूमिजल प्रबंधन
– जल जीवन मिशन की क्रियान्वयन सहायता एजेंसियों की कार्यशाला में संबोधित किया कलेक्टर ने, लोगों को शुद्ध पेयजल पहुंचाने में मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका, लोग जितने जागरूक होंगे, मिशन उतना ही होगा सफल
दुर्ग / जल जीवन मिशन की क्रियान्वयन सहायता एजेंसियों की कार्यशाला को संबोधित करते हुए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने एजेंसी के कार्यकर्ताओं को उपयोगी टिप्स दिये। उन्होंने कहा कि मिशन का लक्ष्य लोगों तक पर्याप्त शुद्ध पेयजल पहुंचाने के साथ ही स्थायी रूप से पेयजल की व्यवस्था भी बनाना है।
इसके लिए तकनीकी काम पीएचई विभाग करेगा, लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का कार्य आईएसए( क्रियान्वयन सहायता एजेंसी) करेगी। उन्होंने कहा कि मिशन अपने उद्देश्यों में तभी सफल होगा जब हम लोगों को इस बारे में पर्याप्त जागरूक कर पाएंगे कि अन्य संसाधनों की तरह भूमिगत जल भी संसाधन है।
इसका उचित उपयोग करें तो यह हमेशा के लिए उपलब्ध होगा। इसके लिए जरूरी है कि उपयोग की मात्रा के अनुरूप ही पानी का इस्तेमाल करें और सोख्ता गड्ढों के माध्यम से इसका रिचार्ज भी करते रहें। उन्होंने कहा कि अधिकतर स्थलों में स्पाट सोर्स का उपयोग होगा। स्पाटसोर्स की प्रभाविता भूमिगत जल के रिचार्ज पर निर्भर करेगी।
क्रियान्वयन सहायता एजेंसियों की अहम भूमिका इस बात में होगी कि लोगों को सोख्ता गड्ढों के लिए प्रेरित करें। इसके साथ ही व्यर्थ पानी के उपयोग के लिए बाड़ी भी लगाने लोगों को प्रेरित करें। इससे पानी का भी प्रभावी उपयोग होगा और सब्जी भाजी भी मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि कुछ छोटी-छोटी बातें भी लोगों को बतानी जरूरी है, जैसे टूल्लू पंप इसके लिए प्रभावी नहीं रहेगा।
आप इस तरह की बातों को उदाहरण के माध्यम से बताएंगे तो लोगों को बेहतर तरीके से समझ आएगा। उन्होंने कहा कि लगभग एक लाख ग्रामीण परिवारों को अगले एक साल चार महीने के भीतर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। आप लोग जितनी मेहनत करेंगे, शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का यह पुनीत कार्य उतना ही सफल होगा।
जलजीवन मिशन के स्टेट नोडल आफिसर कैलाश मढ़रिया ने कहा कि आईएसए की तीन दिनों की ट्रेनिंग काफी अच्छी हुई है। दुर्ग जिला मिशन के क्रियान्वयन में अग्रणी रहा है। आगे भी इस दिशा में अच्छा कार्य होगा।
पीएचई के अधीक्षण अभियंता राजेश गुप्ता ने कहा कि तकनीकी पक्षों के साथ ही जलजीवन मिशन के साथ भागीदारी के लिए ग्रामीणों को तैयार करने आईएएस की बड़ी भूमिका होगी। यह प्रशिक्षण इस दिशा में बहुत उपयोगी होगा।
मिशन के सचिव एवं कार्यपालन अभियंता समीर शर्मा ने कहा कि आईएसए बहुत उत्साही हैं और इन्हें अपने काम की गहरी समझ है। ट्रेनिंग के बाद यह फील्ड में और बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे। इस दौरान रिसोर्स परसन के रूप में समर्थन और यूनिसेफ की टीम भी मौजूद रही।
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