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करोड़ों का कॉम्पलेक्स कौड़ियों में नीलाम? तीन मिनट में लगा दी गई एक परिवार के बीच बोली…

पिलानी : झुंझुनूं के चिड़ावा कस्बे के गांधी चौक के पास शांति प्लाजा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की नीलामी को लेकर ऋण वसूली अधिकरण के अधिकारियों पर गलत कार्रवाई और मिलीभगत कर करोड़ों की संपत्ति कौड़ियों के दाम पर नीलाम करने का आरोप लगाया गया है. यह आरोप कॉम्पलेक्स के मालिक सज्जन हलवाई ने लगाया है.

उन्होंने और उनके वकील नरेश शर्मा ने प्रेस वार्ता में पत्रकारों को ऐसे कई दस्तावेज सौंपे हैं जिसके बाद इस नीलामी पर सवाल खड़े हो गए हैं. सज्जन हलवाई ने बताया कि उनका कॉम्प्लेक्स करीब 46 हजार स्क्वायर से ज्यादा जगह पर बना हुआ है लेकिन, अधिकरण के अधिकारियों ने मिलीभगत कर महज 1701 स्क्वायर फुट का कॉम्पलेक्स दिखा कर उसकी बोली लगवा दी.

उन्होंने बताया कि बोली 3 सितंबर 2021 को लगवाई गई थी. जिसमें चिड़ावा के वार्ड नंबर 20 निवासी राजकुमार सोनी पुत्र विश्वनाथ सोनी, उसका भाई कृष्ण कुमार सोनी पुत्र विश्वनाथ सोनी और राजकुमार सोनी की पत्नी मीना सोनी के अलावा चौथे बोलीदाता ने भी हिस्सा लिया. वहीं अधिकरण को नीलामी की इतनी जल्दी थी कि ना तो ढोल वगैरह बजाकर बताया गया कि यह कॉम्पलेक्स नीलाम होगा. महज तीन मिनट में 1.35 करोड़ में एक-एक बोली लगाकर मीना सोनी के नाम कॉम्प्लेक्स कर दिया गया.

जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली तो वह अधिकरण के संपर्क में पहुंचे और बकाया राशि का कुछ अंश और बाद में संपूर्ण राशि भी जमा करवा दी गई लेकिन, अधिकरण ने उन सबको नजर अंदाज कर दो दिन पहले पूरे कॉम्पलेक्स का कब्जा जबरदस्ती दिलवा दिया. जबकि बोली के तहत खुद अधिकरण ने तय किया था कि बेसमेंट में 882.89, ग्राउंड फ्लोर पर 882.89 और फर्स्ट फ्लोर पर 139.40 मीटर स्क्वायर मीटर की जगह बताई गई है.

पहली बोली खुद राजकुमार, फिर उसके भाई और पत्नी ने फाइनल बोली लगा दी

सज्जन हलवाई ने बताया कि अधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से यह सारा खेल महज 3 मिनट में हो गया. अधिकरण ने 1.29 करोड़ की बेस प्राइज रखी थी. इसके बाद 1.30 करोड़ की पहली बोली राजकुमार सोनी ने लगाई. दूसरी बोली उसके भाई कृष्णकुमार सोनी ने 1.32 करोड़ की लगाई. इसके बाद तीसरी बोली राजकुमार की पत्नी मीना सोनी ने 1.35 करोड़ रूपए की लगाई. तीनों ने महज तीन मिनट की अंतराल में बोली पर सहमति भी दे दी.

नीलामी स्थल पर बताए 18 व्यक्ति, जिनकी हो जांच

सज्जन हलवाई ने बताया कि अधिकरण के अधिकारियों ने कागजी खानापूर्ति करने के लिए 18 लोगों को नीलामी स्थल पर उपस्थित होना बताया है. जिनके नाम, हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर हैं.नामों की जांच और उनके हस्ताक्षरों की जांच की मांग सज्जन हलवाई ने की है. उनका आरोप है कि अधिकरण के अधिकारियों ने एक ही जगह बैठकर ये नाम लिखकर खुद ही एक व्यक्ति  से हस्ताक्षर करवा लिए.

सारे पैसे करवा दिए थे जमा, फिर भी दिलाया कब्जा

सज्जन हलवाई ने बताया कि जब नीलामी का नोटिस समाचार पत्र में देखा तो उन्होंने तुरंत अपने बकाया पैसों में से 15 लाख से ज्यादा की रकम जमा करवा दी. इसके बाद अधिकरण ने उन्हें कागजों में 15 दिन और मुंह जबानी तीन महीने का समय दिया था लेकिन, अधिकरण के अधिकारियों ने पहले से ही मामले में मिलीभगत कर दी और 45 दिन बाद उनके द्वारा सारे पैसे जमा करवाने के बाद भी कब्जा दिला दिया.

डीएलसी रेट से 10 प्रतिशत पर किया निर्धारण

सज्जन हलवाई ने बताया कि अचल संपत्तियां की जिला स्तरीय समिति की प्रस्तावित निर्धारित दर वर्ष 2019 कृ20 के लिए कबूतरखाना लीलगरों की दुकान से पश्चिम में नेहरू मार्केट शामिल करते हुए पुरानी तहसील सड़क, गांधी चैक, कल्याणजी के मंदिर के चारों तरफ हुए पश्चिम में किशनलाल सुंगा की दुकान तक सड़कों के दोनों ओर 500 मीटर तक की डीएलसी दर 34 हजार 40 रुपए तय की गई है लेकिन, अधिकरण ने इसे भी दरकिनार करते हुए महज 2016 रुपए की रेट से जगह का वेल्यूवेशन कर लिया.

जगह कम दिखाई, डीएलसी रेट भी नाम मात्र की

सज्जन हलवाई ने बताया कि इस सारे घोटाले में अधिकरण के अधिकारियों ने जमकर चांदी कूटी है. उन्होंने ना केवल जगह को कम दिखाई बल्कि डीएलसी रेट भी कम दिखाई. जब भी हमारे द्वारा अधिकरण में यह ऑब्जेक्शन उठाया गया तो केवल हमें विश्वास में लेकर बेवकूफ बनाने का काम किया.

आर्किटेक्ट ने मानी 46 हजार फुट के करीब जगह

सज्जन हलवाई ने इस मामले में प्राइवेट आर्किटेक्ट से भी जगह का वेल्यूवेशन निकलवाया. जिसमें आर्किटेक्ट ने कुल जगह को 46 हजार 169 फुट मानी है. जिसमें बेसमेंट फ्लोर पर 16275 फुट, ग्राउंड फ्लोर पर 14862 फुट, फर्स्ट फ्लोर पर 15032 फुट माना है. जबकि अधिकरण इसकी पांच प्रतिशत ही जगह मान रहा है. आर्किटेक्ट जिस जगह को 5.69 करोड़ रुपए की मान रहा है वह भी सब रजिस्ट्रार तय डीएलसी दर 27565 रुपए की है. यह वेल्यूवेशन बिना कोई निर्माण के के केवल जगह-जगह की निकली है. वहीं दूसरे आर्किटेक्ट ने कंस्ट्रक्शन कोस्ट 14.61 करोड़ रुपए मानी है. उस प्रोपर्टी को अधिकरण केवल 1.01 करोड़ रुपए की मान रहा है.

ब्याज एक साल में दोगुना, प्रोपर्टी 20 साल में भी केवल तीन गुना

सज्जन हलवाई ने बताया कि इस जगह को जब लिया गया था तो पंजीयन एवं पदेन कलेक्टर मुद्रांक बीकानेर ने 40.56 लाख रुपए की मानते हुए स्टांप ड्यूटी ली थी. उसके बाद कंस्ट्रक्शन भी बना है. उसी प्रोपर्टी को 20 साल होने के बाद अधिकरण ने केवल तीन गुनी, यानि कि 1.01 करोड़ रुपए की मानी है. जबकि अधिकरण ने एक साल में ही ब्याज को दोगुना कर दिया. उन्होंने 24 अप्रेल 2019 को बकाया राशि 77 लाख 33 हजार 381 रुपए बताई थी. जबकि 15 दिसंबर 2020 को यह राशि 1 करोड़ 37 लाख, 39 हजार 993 रुपए की निकाल दी.

खुद बता रहे हैं रेजिडेंशियल, कब्जा दिला रहे हैं दुकानों का

सज्जन हलवाई ने बताया कि अधिकरण खुद अपने आदेशों में इस जगह को रेजिडेंशियल बता रहा है. जबकि इस जगह को कॉमर्शियल मानते हुए लोन दिया गया था. रेजिडेंशियल बताने वाला अधिकरण ही इस कॉम्पलेक्स की दुकानों का कब्जा वो भी निर्धारित जगह से ज्यादा का दिला रहा है. यानि कि गुपचुप में मिलीभगत कर बोली तो लगवाई, सो लगवाई 18 दुकानें छोड़कर पूरे कॉम्प्लेक्स को ही नीलामी लगाने वाले को सौंप दिया.

अधिकरण के अधिकारियों ने मांगी थी घूस

सज्जन हलवाई ने बताया कि अधिकरण के अधिकारियों ने उनसे भी एक करोड़ रुपए की घूस मांगी थी और मामले को सलटाने की बात कही थी. जो समय आने पर वे सामने भी रखेंगे लेकिन, उनके पास जब लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं थे तो वह इतनी बड़ी घूस की राशि नहीं दे सकते थे. इसके बाद अधिकरण के अधिकारियों ने नीलामी छुड़ाने वाले व्यक्ति से मोटी रकम लेकर नियमों, दरों, जगह सभी को दरकिनार कर करोड़ों की प्रोपर्टी कौड़ियों के दाम पर बेच दी.

कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

सज्जन हलवाई ने बताया कि जिस तरह का अन्याय उनके साथ किया गया है उसके खिलाफ वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. वकीलों से राय ली जा रही है. अभी तो वे इस मामले में इसलिए नहीं बोले कि अधिकरण में उनकी आपत्ति चल रही थी लेकिन, सबकुछ मिलीभगत से एक तरफ आपत्ति को हटाया गया और दूसरी तरफ भारी पुलिस के साथ कब्जा दिलाया गया.

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