व्यापार

सोना-चांदी के आभूषणों के रूप में पहले जैसी बचत नहीं कर पा रहे भारतीय परिवार, यह है बड़ी वजह

कोरोना महामारी से प्रभावित वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय परिवारों का सोना-चांदी के आभूषणों के रूप में बचत को लेकर भरोसा पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है। भारतीयों के बचत व्यवहार को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिसर्च रिपोर्ट से यह बात सामने आई है।

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) और एसबीआई रिसर्च के डाटा के अनुसार, कोरोना के दौरान भारतीयों की सोना-चांदी आभूषणों के रूप में पारिवारिक बचत 38,444 करोड़ रुपए रही है। एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले इसमें करीब 11 फीसदी की गिरावट रही है। वित्त वर्ष 2019-20 में पारिवारिक बचत 43,136 करोड़ रुपए थी।

एनएसओ की ओर से 31 जनवरी को जारी डाटा के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान पारिवारिक कर्ज बढ़ा है, जो अब समस्या बन रहा है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में कुल पारिवारिक बचत 7.1 लाख करोड़ रुपए रही है। यह किसी वित्त वर्ष में अब तक की सबसे ज्यादा पारिवारिक बचत रही है। वहीं, वित्तीय देयता में सिर्फ 18,669 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है।

बीते छह सालों में सोना-चांदी में बचत

  • 2020-21 में 38,444 करोड़ रुपए
  • 2019-20 में 43,136 करोड़ रुपए
  • 2018-19 में 42,673 करोड़ रुपए
  • 2017-18 में 46,665 करोड़ रुपए
  • 2016-17 में 46,532 करोड़ रुपए
  • 2015-16 में 46,469 करोड़ रुपए

खाने-पीने पर खर्च बढ़ा

घरेलू अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) के डाटा के विश्लेषण के अनुसार, कोरोना के दौरान व्यवहार में बदलाव का भी महंगाई पर असर दिखा है। इस परिदृश्य ने लोगों के खपत के तरीके को भी बदला है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में खपत ज्यादा रही और खाने-पीने का खर्च बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। वहीं, परिवहन, कपड़े, फुटवियर, रेस्टोरेंट और होटल जैसी श्रेणियों में खर्च घटकर 6.1 लाख करोड़ रुपए रहा।

पूंजी बाजार में निवेश पर ज्यादा खर्च

31 जनवरी को जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में भी भारतीयों के निवेश के तरीके के बारे में जानकारी दी गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अब पूंजी बाजार में निवेश पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, इक्विटी कैश सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा निफ्टी के कुल टर्नओवर में अप्रैल-अक्तूबर 2021 के दौरान खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 39 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी रही थी।

बीते छह सालों में सोना-चांदी में बचत

  • 2020-21 में 38,444 करोड़ रुपए
  • 2019-20 में 43,136 करोड़ रुपए
  • 2018-19 में 42,673 करोड़ रुपए
  • 2017-18 में 46,665 करोड़ रुपए
  • 2016-17 में 46,532 करोड़ रुपए
  • 2015-16 में 46,469 करोड़ रुपए

खाने-पीने पर खर्च बढ़ा

घरेलू अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) के डाटा के विश्लेषण के अनुसार, कोरोना के दौरान व्यवहार में बदलाव का भी महंगाई पर असर दिखा है। इस परिदृश्य ने लोगों के खपत के तरीके को भी बदला है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में खपत ज्यादा रही और खाने-पीने का खर्च बढ़कर 3.5 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। वहीं, परिवहन, कपड़े, फुटवियर, रेस्टोरेंट और होटल जैसी श्रेणियों में खर्च घटकर 6.1 लाख करोड़ रुपए रहा।

पूंजी बाजार में निवेश पर ज्यादा खर्च

31 जनवरी को जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2022 में भी भारतीयों के निवेश के तरीके के बारे में जानकारी दी गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय अब पूंजी बाजार में निवेश पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, इक्विटी कैश सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की संख्या बढ़ी है। इसके अलावा निफ्टी के कुल टर्नओवर में अप्रैल-अक्तूबर 2021 के दौरान खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी 39 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी रही थी।

संपूर्ण खबरों के लिए क्लिक करे

http://jantakikalam.com

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button