दुर्ग

जन-जागरण महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं बनी कुशल मछली पालक

दुर्ग / शासन की योजनाएं आज गांव के स्वरूप को नई आकृति प्रदान कर रही है। कोकड़ी ग्राम ‘जन-जागरण’ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने आज अपने जनपद क्षेत्र के गौठान को पूर्ण रूप से मत्स्य उत्पादन के माध्यम से आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील कर दिया है। महिलाएं गौठान के परिक्षेत्र के तालाब में मछली का उत्पादन कर प्रति उत्पादन 30 हजार ₹ की आमदनी अर्जित कर रही हैं।

‘जन-जागरण’ समूह की अध्यक्ष मती भुनेश्वरी निषाद ने बताया कि शासन की योजना ही है कि आज उनकी महिला समूह अपने पांव पर खड़ी है। सबसे पहले उनके समूह की महिलाएं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली व कौशल विकास का उन्नयन करने वाली योजना बिहान से जुड़ीं, इसके पश्चात उन्हें पता चला कि उनके ग्राम के गौठन को आजीविका केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए समिति प्रबंधक द्वारा बैठक रखी गई है, जिसमें वर्मी खाद बनाने के साथ-साथ, समुदायिक बाड़ी में सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन और मुर्गी पालन का कार्य भी किया जाएगा।

इस अवसर पर जन-जागरण महिला स्व सहायता समूह के मन में एक विचार आया कि समूह की सभी महिलाएं निषाद परिवार से संबंध रखती थी इसलिए वो मछली पालन के कार्य से कहीं ना कहीं परिचित हैं। उन्होंने प्रबंधन समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा की गौठान में यदि मत्स्य पालन का कार्य शुरू किया जाए तो गौठान की विविधता अपने चरम पर होगी। क्योंकि गौठान कैंपस के अंदर एक तालाब भी था इसलिए प्रबंधन समिति ने बिना किसी देरी के सहर्ष समूह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

प्रबंधन समिति ने समूह की महिलाएं पहले प्रयास में ही सफल हो इसके लिए प्रशिक्षण व्यवस्था भी कराई इसके लिए उन्होंने  समूह संपर्क मत्स्य विभाग से कराया जिसमें मत्स्य विभाग ने समूह को तकनीकी मार्गदर्शन देते हुए एक दिन का प्रशिक्षण दिया और मछली बीज भी उपलब्ध कराया।

प्रशिक्षण उपरांत समूह ने पूरे उत्साह से तालाब में मछली बीज डालकर प्रशिक्षण में दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार चारा और दवाई नियत रूप से मछलियों को उपलब्ध कराई। 5 से 6 महीने पश्चात जब मछलियां बड़ी हुई तो पहले ही प्रयास में यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी मानों जैसे किसी कुशल मत्स्य पालक यह कार्य किया हो।

समूह की महिलाएं आज अपनी इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं और अपनी सफलता का श्रेय  शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को देतीं हैं। वों कहती हैं कि इन योजनाओं से आज जो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है उससे वो अपने बच्चों का बेहतर भविष्य देख पा रही हैं।

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