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हे भगवान… यह क्या हो रहा है….

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने ली 2 माह की बच्ची की जान

दुर्ग – धरती के माने जाने वाले भगवान अगर इस तरह से लापरवाही करेंगे तो क्या होगा लोगों का,  क्या होगा इस धरती की जान का, बहुत विचारणीय है। खबर यह है कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग का बहुत बुरा हाल है क्योंकि आये दिन हो रही लापरवाही का किस्सा किसी से छुपा नहीं है। लेकिन इनकी लापरवाही की पराकाष्ठा ने 2 माह की बच्ची को भी नहीं छोड़ा और और अपने इलाज हेतु अस्पताल के चक्कर काटते हुए परिजन की आंखों के सामने दुनिया से चली गई।

हे भगवान... यह क्या हो रहा है....

आपको बता दें कि 2 माह की बच्ची रूही को सिर्फ बुखार और दस्त की शिकायत थी, पूरा एक दिन अस्पतालों के चक्कर काटकर रात में जिला अस्पताल दुर्ग लाने पर प्राम्भिक जांच में डॉक्टरों द्वारा कोरोना जांच कर रिपोर्ट को पॉजिटिव बता दिया गया । आज अस्पतालों की स्थिति ऐसी है कि आप किसी भी अवस्था में  अस्पताल जाएं तो भी बिना कोविड टेस्ट के आपका इलाज शुरू होना संभव ही नहीं है, अर्थात आप चाहे मरणासन्न अवस्था में भी क्यों न हो उनका नजरिया केवल कोरोना पर ही टिका है । ठीक है जांच जरूरी है पर प्रारंभिक उपचार मरीज का हक है उससे उसे क्यों वंचित किया जाता है।

 

हे भगवान... यह क्या हो रहा है....

बहरहाल बच्ची की हालत में सुधार न होने पर दुर्ग अस्पताल में बच्चों के लिए वेंटिलेटर न होने की बात कहकर बच्ची को रायपुर जिला अस्पताल पंडरी रिफर किया गया और रेफर पर्ची में कोविड पॉजिटिव लिख दिया गया जबकि टेस्ट रिपोर्ट नहीं आई थी और जिला अस्पताल पंडरी रायपुर मेेें लगभग 1 घंटे की मशक्कत के बाद डॉक्टर से मुलाकात तो हुई, परंतु कोरोना पॉजिटिव  देखकर वेंटीलेटर  देने से साफ मना करते हुए मेकाहारा हॉस्पिटल जाने को कह दिया और मेकाहारा हॉस्पिटल में  ऐप के माध्यम से बेड चेक करने कह कर के अपने कंप्यूटर में व्यस्त होगा नहींं होने की बात कहकर अपने कंप्यूटर में व्यस्त हो गए और वहीं बच्ची की टूटती साँसों को लेकर तड़पते देखकर प्रारंभिक उपचार शुरू करने की परिजन मिन्नतें करते रहे, रोते बिलखते रहे, लेकिन उनकी किसी ने एक नहीं सुनी, और जब बच्ची को प्रारंभिक उपचार करने डॉक्टर तैयार हुए तब तक देर हो चुकी थी, बच्ची रुही ने एम्बुलेंस मे ही दम तोड़ दिया ।

हे भगवान... यह क्या हो रहा है....

हद तो तब हो गई जब बच्ची की मौत पर रोते बिलखते परिजनों को एम्बुलेंस वाले ने भी मासूम के शव को निजी वाहन से दुर्ग ले जाने की बात कहकर वहा से एम्बुलेंस लेकर चलता बना, परिजनों ने किसी तरह बच्ची को दुर्ग लाया और उसका अंतिम संस्कार की क्रिया को पूरा किया और अंतिम संस्कार के 4 घंटे के बाद मोबाइल पर बच्ची रुही की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई । उसको देखकर परिजनों को समझ में आया, कि बच्ची को प्राथमिक उपचार नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह रिफर पर्ची पर कोरोना पॉजिटिव लिखा होना था। अब तो ये साफ़ हो गया कि दुर्ग जिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते मासूम की जान चली गई ।

हे भगवान... यह क्या हो रहा है....

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को लेकर परिजन सिटी कोतवाली थाना दुर्ग पहुचकर थाना प्रभारी से जांच किये जाने की मांग को लेकर शिकायत आवेदन जमा कराया, इसके साथ ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के समक्ष पहुचकर अपनी शिकायत दर्ज करवाई ।

पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही करने की बात कही गयी।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी गंभीर सिंह ठाकुर ने भी मामले में दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को स्वीकार किया और जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया है । अब देखना यह होगा कि इस पुरे मामले में दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है और पीड़ित परिवार को न्याय मिलता है या ऐसे गंभीर मुद्दों पर भी लीपापोती होती है।

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