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Budget 2022: बैंकों के निजीकरण की तेज हो सकती है प्रक्रिया, FDI की लिमिट होगी 74 फीसदी!

देश में पब्लिक सेक्टर के 12 बैंक हैं. इन बैंकों में विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा 20 फीसदी है. पिछले बजट में सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था, लेकिन कम एफडीआई (FDI) लिमिट के कारण बड़े विदेशी निवेशक आकर्षित नहीं हुये.

नई दिल्‍ली. Budget 2022 : पब्लिक सेक्‍टर के बैंकों के निजीकरण की दिशा में सरकार आगामी बजट में कदम बढ़ा सकती है. बजट 2021 में दो बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया गया था. कोविड-19 के कारण यह ऐलान क्रियान्वित नहीं हो पाया था, लेकिन बजट 2022 में सरकार सरकारी बैंकों के निजीकरण की दिशा में एक कदम और बढ़ा सकती है. सरकार पब्लिक सेक्‍टर बैंकों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी कर सकती है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे संबंधित प्रस्‍ताव अंतिम चरण में है.

फिलहाल पब्लिक सेक्‍टर के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा 20 फीसदी है. प्राइवेट सेक्‍टर के बैंकों में विदेशी निवेश सीमा 74 फीसदी है. पब्लिक सेक्‍टर के बैंकों के निजीकरण का बैंक कर्मचारी यूनियन और अन्‍य ट्रेड यूनियन जमकर विरोध कर रही है. पिछले साल इसी को लेकर बैंक कर्मचारी हड़ताल पर भी रहे थे. अब फिर बैंक कर्मचारियों ने फरवरी में हड़ताल का ऐलान कर रखा है. इस हड़ताल का एक कारण केंद्र की सरकारी बैंक के निजीकरण की कोशिशों को भी बताया गया है.

अंतिम चरण में है प्रस्‍ताव

विदेशी निवेशकों को लुभाने और विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार FDI संबंधी नियमों में बदलाव कर सकती है. संभव है कि 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी, तो PSB में एफडीआई लिमिट को बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया जाए. FDI की यह लिमिट केवल उन बैंकों पर लागू हो सकती है जिनका निजीकरण किया जाएगा. अभी देश में पब्लिक सेक्टर के 12 बैंक हैं.

सूत्रों का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर में एफडीआई लिमिट बढ़ाने को लेकर वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विभाग जैसे डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS), डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (DEA) और अन्य संबंध विभागों के चर्चा हो चुकी है. प्रस्ताव अपने अंतिम चरण में है जिसे बजट में पेश किया जा सकता है.

इसलिए बढ़ानी पड़ रही है लिमिट

सरकार ने पिछले वर्ष दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. इनमें एफडीआई लिमिट 20 फीसदी रखी गई. सरकार ने जैसा सोचा था वैसा उत्‍साह विदेशी निवेशकों (foreign investors) ने इन बैंकों में निवेश को लेकर नहीं दिखाया. बड़े निवेशक सरकार के इस कदम से बिल्‍कुल भी आकर्षित नहीं हुये. इसी को देखते हुए अब सरकार ने एफडीआई को 20 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का मन बनाया है. सरकार को लगता है विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने से बड़े विदेशी निवेशक आगे आयेंगे. वैसे किन दो बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, इसके संबंध में अभी तक विशेष जानकारी नहीं है, लेकिन इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम आगे चल रहा है.

सरकार के प्रयासों से घटा एनपीए

इस बजट में भी सरकार का निजीकरण पर जोर रहेगा, साथ ही सरकार के एजेंडे में IDBI बैंक का रणनीतिक विनिवेश शामिल होगा. केद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए 4R के कॉन्सेप्ट, रिकॉग्निशन, रिजॉल्यूशन, री-कैपिटलाइजेशन और रिफॉर्म्स पर तेजी से काम किया है. इन चार उपायों के कारण नॉन परफॉर्मिंग असेंट्स यानी NPA में बड़ा सुधार हुआ है और 31 मार्च 2021 को एनपीए घटकर 8 लाख 35 हजार 51 करोड़ रुपए पर पहुंच गया.

बढ़ रहा है सरकारी बैंकों का नेट प्रॉफिट

सरकारी बैंकों के प्रदर्शन पर गौर करें तो चालू वित्त वर्ष (2021-22) की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून तिमाही में पब्लिक सेक्टर बैंकों का नेट प्रॉफिट 14012 करोड़ रुपए था. जुलाई-सितंबर तिमाही में यह बढ़कर 17132 करोड़ रुपए हो गया. इस तरह सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल 31114 करोड़ की नेट कमाई की. वित्त वर्ष 2020-21 में पब्लिक सेक्टर बैंकों की कुल कमाई 31820 करोड़ रुपए थी.

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