छत्तीसगढ़दुर्ग

पाकिस्तानी आतंकी संगठन को छत्तीसगढ़ में जमीन आबंटन से भी दिक्कत नही, कांग्रेस को?

रायपुर : भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने आज फिर पाकिस्तानी संगठन दावते इस्लामी को जमीन आवंटन के मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए नया खुलासा किया है , कि छत्तीसगढ़ सरकार किसी भी स्थिति में इस संगठन को जमीन देने पर तुली हुई है। एक ओर जहां छत्तीसगढ़ के हजारो सामाजिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक संगठन जमीन के लिए ढाई वर्षों से चक्कर लगा रहे हैं।

वहीं पाकिस्तान में बने, रजिस्टर्ड आतंकी संगठन के नाम पर छत्तीसगढ़ में 25 एकड़ जमीन आवंटन का प्रकरण कांग्रेस सरकार व कांग्रेस पार्टी को कटघरे पर खड़ा कर रहा है। कांग्रेस, पाकिस्तानी आतंकी संगठन को जमीन आवंटन के पाप से कभी मुक्त नहीं हो सकती।

श्री अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा है कि कल पत्रकार वार्ता के माध्यम से उनके द्वारा पाकिस्तानी संगठन दावते इस्लामी के नाम पर राजधानी रायपुर के बोरियाखुर्द में 25 एकड़ जमीन आवंटन व प्रक्रिया को लेकर जब आपत्ति दर्ज कराई गई, तो आनन-फानन में शासन एवं प्रशासन ने रात्रि में 1 जनवरी के तारीख में उक्त जमीन के प्राप्त आवेदन को रद्द करने का समाचार जारी करवाया। परंतु वस्तुस्थिति इसके विपरीत है ।

श्री अग्रवाल ने कहा कि दावते इस्लामी द्वारा सामुदायिक भवन निर्माण हेतु बोरियाखुर्द प.ह.न. 71 में 10 हेक्टेयर भूमि आवंटन की मांग 31 जनवरी 2021 को किया गया था । जिसके बाद 22 दिसंबर 2021 को न्यायालय अतिरिक्त तहसीलदार रायपुर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक /अ-19(5) वर्ष 2020-21 के तहत अधिसूचना जारी की गई । 13 जनवरी 2022 को आपत्ति पेश करने की अंतिम तिथि थी।

शासन एवं प्रशासन को ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि आपत्ति के तिथि के पहले आवेदन निरस्त करना पड़ा? जिन आवेदकों ने साल भर जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी करते रहे, उन्हीं आवेदकों ने एक दिन में ही अपना आवेदन क्यों वापस लिया? इससे यह स्पष्ट परिलक्षित है कि शासन प्रशासन षड्यंत्र के तहत पाकिस्तानी संस्था को जमीन आवंटन के लिए लगी हुई थी और जब यह मामला सार्वजनिक हुआ तो आवेदकों को बुलाकर रात्रि में उनसे वापसी का आवेदन लेकर प्रकरण को बेक डेट में निरस्त करने का ढोंग किया गया।

श्री अग्रवाल ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि एक और जहां दावते इस्लामी को जमीन देने के उनके 31 जनवरी 2021 के आवेदन के आधार पर जारी अधिसूचना को निरस्त किया गया। वहीं एक आवेदन 28 दिसंबर 2021 को माशा एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के संचालक मोहम्मद अनवारुत हसन ने अनुविभागीय दंडाधिकारी रायपुर को किया, जिसके नोट में – मठपुरैना कब्रिस्तान के बाजू में दावते इस्लामी को खसरा नं. 199/1 का भाग आबंटित करने की भी मांग की गई है। 28 दिसंबर 2021 को ही आवेदन को प्रदेश के परिवहन आवास एवं पर्यावरण वन मंत्री ने एसडीएम रायपुर को अनुशंसित किया 29 दिसंबर को ही पत्र डिस्पैच होकर एसडीएम से होते एडिशनल तहसीलदार तक पहुंच गया और 29 दिसंबर को एडिशनल तहसीलदार ने प्रकरण दर्ज कर इश्तहार प्रकाशन के लिए भी अनुशंसा कर दी । पाकिस्तानी आतंकी संस्था के लिए जमीन आंबटन की इतनी तत्परता क्यों? किसके कहने पर? और किस लिए? प्रदेश में ढाई-ढाई साल से हजारों की संख्या में जमीन आवंटन के आवेदन जहां है वहीं पड़े हुए हैं। फिर इस अकेले प्रकरण में इतनी तत्परता क्यों दिखाई गई? यह आवेदन तो शासन द्वारा निरस्त किए गए दावते इस्लामी के आवेदन से अलग हैं। इस पर प्रशासन मौन क्यों हैं? आखिर मासा एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी दावते इस्लामी के लिए जमीन क्यों मांग रही है ? सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए और यह भी बताना चाहिए की इस आवेदन का क्या हुआ?

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