इन कार्यों को करने वाला व्यक्ति कहलाता है मूर्ख, जानिये क्या कहती है विदुर नीति…
महाभारत काल के महान बुद्धिजीवियों में से एक महात्मा विदुर समय से पहले ही चीजों को भाप लिया करते थे। विद्वान होने के साथ-साथ वह दूरदर्शी भी थे। महाभारत युद्ध से पहले महात्मा विदुर और धृतराष्ट्र के बीच जो भी बातें हुई थीं, उन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। विदुर जी की नीतियां वर्तमान समय में भी प्रासंगिक मानी जाती हैं। हस्तिानपुर के महामंत्री विदुर जी ने अपनी नीतियों में समाज कल्याण और लोगों को सही जीवन जीने के कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। विदुर जी ने अपनी नीतियों में कुछ ऐसे कार्यों का जिक्र किया है, जिन्हें करने वाला व्यक्ति मूर्ख कहलाता है। आप भी जानिये क्या कहती है विदुर नीति-
मित्रों और शुभचिंतकों को दुख देने वाला व्यक्ति: महात्मा विदुर के अनुसार जो व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों को दुख देता है या फिर उनसे द्वेष रखता है, वह हमेशा मूर्ख कहलाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति अपने शुभचिंतकों को छोड़कर गलत कार्य करने वाले लोगों के साथ रहता है, वह भी मूर्ख कहलाता है।
संदेही व्यक्ति: विदुर जी के अनुसार जो व्यक्ति हर काम को लेकर संदेह करता है, या हर व्यक्ति को संदेह की नजर से देखता है, वह हमेशा मूर्ख कहलाता है। ऐसे लोग हमेशा बेमतलब के कामों में लगे रहते हैं और हर काम को करने में देर लगाते हैं।
बीच में बोलने वाला व्यक्ति: विदुर जी के अनुसार जो व्यक्ति हर किसी के बीच में बोलता है, या फिर किसी के भी कमरे में प्रवेश करने से पहले अनुमति नहीं लेता, ऐसे व्यक्ति भी मूर्ख कहलाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति अपनी बातों को दूसरों पर थोपता है, या फिर हर किसी पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेता है, ऐसे व्यक्तियों को मूर्ख कहा जाता है।
दूसरे की गलती निकालने वाला: महात्मा विदुर के अनुसार जो व्यक्ति यह जानते हुए भी गलती उसकी है, लेकिन बावजूद इसके वह किसी दूसरे की गलती निकालता है, वह हमेशा मूर्ख कहलाता है। इसके अलावा जो व्यक्ति खुद को हर किसी से बुद्धिमान मानता है और अपने आगे किसी दूसरे की नहीं सुनता, वह भी मूर्ख कहलाता है।